यहां से रूठ गई हैं भाग्य रेखाएं
चुनावी बेला में बेशक प्रमुख राजनैतिक दलों के नेता वोट- वोट खेल रहे हो। लेकिन चौपाल क्षेत्र के सिरमौर से सटे क्षेत्रों में आज भी विकास नहीं पहुंच पाया है। ऐसा लगता है कि यहां से लोगों से सड़कों की भाग्य रेखाएं रूठ गई है। चाहे वो पुलबाहल हो या कुपवी। कुपवी की 14 पंचायतें देईया के रास्ते सीधे नेरवा- चौपाल जुड़ सकती हैं। केवल आठ किलोमीटर की दूरी लोगों पर भारी पड़ रही है। अगर इस सड़क का निर्माण हो जाता है तो इससे कम से कम 64 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है। न केवल समय की बचत होगी जेब पर आर्थिक भार नहीं पड़ेगा। सत्ता पक्ष से ताल्लुक रखने वाले मौजूदा विधायक बलवीर वर्मा पूर्व कांग्रेस सरकार में भी निर्दलीय विधायक रहे। बाद में कांग्रेस के एसोसिएट मैंबर बने। वर्ष 2
जागरण संवाददाता, शिमला : चुनावी बेला में बेशक प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता वोट-वोट खेल रहे हों लेकिन चौपाल क्षेत्र के सिरमौर से सटे क्षेत्रों में आज भी विकास नहीं पहुंच पाया है। ऐसा लगता है कि यहां के लोगों से सड़कों की भाग्य रेखाएं रूठ गई हैं। चाहे वो पुलबाहल हो या कुपवी। कुपवी की 14 पंचायतें देईया के रास्ते सीधे नेरवा-चौपाल जुड़ सकती हैं। केवल आठ किलोमीटर की दूरी लोगों पर भारी पड़ रही है। अगर इस सड़क का निर्माण हो जाता है तो इससे कम से कम 64 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है। न केवल समय की बचत होगी, जेब पर आर्थिक भार नहीं पड़ेगा।
सत्ता पक्ष से ताल्लुक रखने वाले मौजूदा विधायक बलवीर वर्मा पूर्व कांग्रेस सरकार में भी निर्दलीय विधायक रहे। बाद में कांग्रेस के एसोसिएट मैंबर बने। वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा ज्वाइन कर ली थी। दोबारा विधायक बने। उनकी मानें तो राज्य सरकार सड़कों का जाल बिछाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है जबकि कांग्रेस के पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलबाहल से चौपाल की दूरी करीब 18 किलोमीटर है। जोड़ना नामक स्थान तक पहले ही सड़क से जुड़ गया है। वहां से आगे चौपाल तक सड़क थ्रू नहीं हो पाई है। इनमें ढील बरती जा रही है। वर्ष 2008 में उन्होंने इसे विधायक प्राथमिकता में डाला था। इसी प्रकार कुपवी देईया सड़क भी निर्मित नहीं हो पाई है। जहां पर 2012 में खड़ी थी, वहां से आगे नहीं सरक पाई है। पुलबाहल वाली सड़क नाबार्ड से स्वीकृत करवाई थी। उधर, विधायक बलवीर वर्मा के अनुसार चौपाल के दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों का जाल प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से बिछा है।
उन्होंने कहा कि यह योजना पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की देन है। नहीं तो किसने सोचा था कि मशोत से लगती ऊंची धार पर भी कभी सड़क पहुंचेगी। कुपवी को देईया से जोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उनका आरोप है कि पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट ने अपने कार्यकाल में विकास नहीं करवाया। सड़क भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शुमार है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत चौपाल के लिए 126 करोड़ स्वीकृत करवाए हैं।
पर्यटन की संभावनाएं अपार
कुपवी अगर देईया से जुड़ता है तो क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन इस दिशा में कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। देईया में तो सड़क भी है, वहां की खूबसूरत वादियों को भी विकसित करने के ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं।