कैग रिपोर्ट: 1170 करोड़ खर्च सिर्फ एक यूनिट से बिजली उत्पादन
मुनाफा कमाने की दृष्टि से देखा जाए तो लाभ की स्थिति वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने राज्य सरकार को लाभांश का भुगतान नहीं किया।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सरकार के लिए व्यावसायिक कार्य करने वाले निगम-बोर्ड घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। राज्य में 21 उपक्रम ऐसे हैं जो सही दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन दो उपक्रम घाटे से उबर नहीं पाए हैं। यदि मुनाफा कमाने की दृष्टि से देखा जाए तो लाभ की स्थिति वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने राज्य सरकार को लाभांश का भुगतान नहीं किया। प्रदेश सरकार के कुल 23 उपक्रम हैं।
राज्य विद्युत निगम कशांग जलविद्युत परियोजना का निर्माण कर रहा है, लेकिन 195 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना पर 1169.75 करोड़ खर्च करने के बावजूद एक यूनिट से विद्युत उत्पादन हो रहा है। परियोजना निर्माण कार्य नवंबर 2014 में पूरा कर लिया था।
उसके बाद भी दो यूनिटों में विद्युत उत्पादन शुरू नहीं हो पाया। कैग ने विद्युत निगम की कार्य क्षमता पर सवाल उठाए हैं। परियोजना निर्माण के लिए एशियन विकास बैंक कर्ज भारत सरकार के माध्यम से प्राप्त हुआ था। प्रदेश में जल विद्युत को बढ़ावा देने के लिए 90 प्रतिशत अनुदान के तहत सरकार को धनराशि मिली थी। प्रदेश सरकार को केवल 10 प्रतिशत ऋण चुकाना है।
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा अनुमोदित आपूर्ति कोड 2009 के आधार पर जारी किए थे, लेकिन बोर्ड ने दरियादिली दिखाते हुए 5.06 करोड़ की निश्चित मांग राशि माफ कर दी। बैंक खातों के साथ मैनुअल मिलान करना जरूरी था, मगर समय पर ऐसा नहीं किया गया। सिस्टम मॉडयूल डिजाइन नहीं किए गए। जिससे उपभोक्ताओं को फर्जी रसीदें दी गई, जिसके चलते 5.36 करोड़ की हानि हुई। एक मामले में बिल राशि के भुगतान की समयपर निगरानी नहीं की गई और 1.62 करोड़ रकम बढ़ गई।
बिक्री सर्कुलर गलत ढंग से पेश करने के मामले में एक ही परिसर के दो भिन्न कनेक्शन जारी किए गए और 25.58 लाख और 16.22 लाख की चपत लगी। कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में जमा संशोधित वेतन और भत्तों के लाभ वापस लेते हुए ब्याज के रुप में भुगतान किए गए 37.05 लाख का लाभ नहीं मिला।