राज्य का खजाना भरने पर मंथन
पहले चरण के शीतकालीन प्रवास के बाद शिमला लौटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अब बजट सत्र की तैयारियों में जुट गए हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला : पहले चरण के शीतकालीन प्रवास के बाद शिमला लौटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अब बजट सत्र की तैयारियों में जुट गए हैं। प्रदेश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती राजस्व जुटाने की है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने संसाधन जुटाने यानी राजस्व संग्रहण बढ़ाने से जुड़े विषयों पर शनिवार को आला अधिकारियों के साथ चर्चा की। इस दौरान अगले वित्त वर्ष के लिए आबकारी नीति में जुटाए जाने वाले कर राजस्व सहित खनन और ऊर्जा क्षेत्र से खजाना भरने पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री सोमवार को प्रदेश मंत्रिमंडल बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इसके अतिरिक्त अगले वित्त वर्ष के बजट को लेकर राज्य योजना बोर्ड की बैठक 17 फरवरी को प्रस्तावित है। आय बढ़ाना होगा चुनौती
15वें वित्तायोग से राजस्व घाटा अनुदान की 45 फीसद भरपाई होने के बावजूद सरकार को कर्मचारियों का वेतन, सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन व कर्जे चुकाने के लिए भारी भरकम धनराशि चाहिए। बजट का करीब 31 फीसद वेतन व पेंशन पर खर्च होता है। इसके अलावा आठ फीसद धनराशि कर्ज चुकाने और सात फीसद कर्ज का मूलधन चुकाने पर खर्च होती है। विकास कार्यो के लिए सरकार के पास बजट से नाममात्र की धनराशि बचती है। हालांकि वित्तायोग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश को अगले साल में 11431 करोड़ की राजस्व घाटा अनुदान मिलने पर वेतन व पेंशन के भुगतान का बोझ खजाने पर कुछ कम होगा। 7900 करोड़ की होगी योजना
मंत्रिमंडल बैठक के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राज्य योजना बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इसमें वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7900 करोड़ रुपये के वार्षिक योजना आकार पर स्वीकृति प्रदान की जाएगी। वार्षिक योजना में अनुसूचित जाति योजना, जनजातीय उपयोजना और पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना के तहत बजट निर्धारित किया जाएगा। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष वार्षिक योजना में 11 फीसद की वृद्धि की है, जो 2019-20 की तुलना में 800 करोड़ रुपये अधिक है। हालांकि पिछली योजना में 12.7 फीसद की वृद्धि हुई थी।