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कालाअंब में दूषित नहीं होगी कौशल्या व मारकंडा नदी

सिरमौर जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से गुजरने वाले सुखना नाला कौशल्य

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 04:44 PM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 04:44 PM (IST)
कालाअंब में दूषित नहीं होगी कौशल्या व मारकंडा नदी

राज्य ब्यूरो, शिमला : सिरमौर जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से गुजरने वाले सुखना नाला, कौशल्या व मारकंडा नदी का पानी दूषित नहीं होगा। सरकार ने कालाअंब में कॉमन इंफल्यूंट ट्रीटमेंट (सीईटी) व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के लिए 5.5 करोड़ की धनराशि जारी कर दी है। दूसरे औद्योगिक क्षेत्र पावंटा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अप्रैल में सरकार साढ़े पांच करोड़ रुपये जारी करेगी।

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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इस क्षेत्र में कौशल्या व मारकंडा नदी का पानी दूषित होने पर कड़ा नोटिस लिया था। कालाअंब क्षेत्र में सुखना नाला भी प्रदूषण का शिकार हो रहा था। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में सीवरेज और ठोस कचरे के कारण पर्यावरण के लिए संकट पैदा हो गया था। वर्ष 2020 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए थे। प्रदूषण के कारण पूरे औद्योगिक क्षेत्र में भूमिगत जल भी दूषित हो चुका है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभग सिंह का कहना है कि पूरे औद्योगिक क्षेत्र को प्रदूषणमुक्त करने के लिए काला अंब व पावंटा में एसटीपी स्थापित करने का कार्य शीघ्र शुरू होगा। कालाअंब के लिए साढ़े पांच करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी गई है। अगले माह अप्रैल में पावंटा में भी एसटीपी स्थापित करने के लिए केंद्र से मंजूरी मिलते ही धनराशि जारी होगी।

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शनिवार को उद्योग विभाग ने पैसा दिया

औद्योगिक क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त करने के लिए राज्य उद्योग विभाग की ओर से काला अंब क्षेत्र में सीईटी व एसटीपी स्थापित करने के लिए 5.5 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है। सरकार ने नौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था। इसी तरह से पावंटा साहिब के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। अब अप्रैल के पहले सप्ताह में 5.5 करोड़ रुपये की औपचारिक घोषणा होनी शेष है।

भूमिगत जल भी शुद्ध होगा

कालाअंब से मारकंडा व कौशल्या नदी के साथ-साथ सुखना नाला निकलता है। मारकंडा नदी आगे बढ़ते हुए पावंटा से गुजरती है। अब दोनों स्थानों पर एसटीपी स्थापित होने के बाद प्रदूषण समाप्त होगा और भूमिगत जल भी शुद्ध हो सकेगा।


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