38 साल बाद गूंजीं क्राइस्ट चर्च की घंटियां
पहाड़ों की रानी शिमला में शनिवार को 3
जागरण संवाददाता, शिमला : पहाड़ों की रानी शिमला में शनिवार को 38 साल बाद क्राइस्ट चर्च की घंटियां गूंजीं। इन घंटियों को ठीक करने का काम चला है। घंटियां ठीक कर रहे मैकेनिकों ने इन्हें जोड़ दिया है। शनिवार को दोपहर से पहले एक बार ट्रायल किया गया। उस दौरान लोगों की आवाज के अलावा वाहनों का शोर था। इसके बावजूद मालरोड के दोनों छोर तक घंटियों की गूंज सुनाई दी।
रिज मैदान पर बने चर्च पर बज रहीं घंटियों को एक तरफ खेल परिसर और दूसरी तरफ स्कैंडल प्वाइंट से आगे तक साफ सुना गया। अब चर्च में प्रार्थना से पहले पूरे शिमला शहर में घंटियों की गूंज सुनाई देगी। वर्ष 1982 में चर्च की घंटियों में खराबी आ गई थी। कई साल के प्रयास के बाद अब क्रिसमस पर घंटियों को विधिवत रूप से शुरू किया जाएगा। दावा है कि इन घंटियों की गूंज को पूरा शिमला शहर में सुना जा सकेगा। चर्च में कई घंटियां हैं मगर एक विशेष घंटी अरसे से नहीं बजी है। इस घंटी में हैमर लगाए गए हैं। इनके खराब होने के कारण परेशानी आ रही थी। इस बार नौ हैमर इंग्लैंड से मंगवाए गए हैं। पांच हजार की लागत से एक हैमर यहां पहुंचा है। इनके आने के बाद ही यह घंटी बजना शुरू हुई है। यह घंटी इंग्लैंड से लाकर चर्च में स्थापित की गई थी। चर्च का इतिहास
शिमला का क्राइस्ट चर्च उत्तर भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है। इसकी खूबसूरती लोगों को लुभाती है। अंग्रेजी शासनकाल में बना यह चर्च शिमला की शान है। वर्ष 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था। क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया था। घंटी से लगेगा प्रार्थना का पता
क्राइस्ट चर्च के प्रेस इंचार्ज सोहन लाल ने बताया कि चर्च में रोजाना प्रार्थना से पहले घंटी बजाने का विशेष महत्व है। घंटी बजने से पता चलेगा कि चर्च में प्रार्थना शुरू होने वाली है।