एसएमसी शिक्षकों की भर्ती पर रोक
प्रदेश में एसएमसी शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गई है। सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए आश्वासन में कहा गया कि कोर्ट के आगामी आदेशों तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किसी भी नए एसएमसी अध्यापक की नियुक्ति अथवा चयन नहीं किया जाएगा।
विधि संवाददाता, शिमला : हिमाचल में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गई है। सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए आश्वासन में कहा गया कि कोर्ट के आगामी आदेश तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किसी भी नए एसएमसी शिक्षक की नियुक्ति अथवा चयन नहीं किया जाएगा।
न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एसएमसी नीति के तहत शिक्षकों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि तीन सप्ताह के भीतर प्रदेश में एसएमसी नीति के तहत अभी तक तैनात शिक्षकों का पूरा ब्योरा कोर्ट के समक्ष रखे। कोर्ट ने शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या व उन्हें आरएंडपी नियमों के तहत भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने के आदेश भी दिए। प्रशंसनीय कदम नहीं एसएमसी भर्तियां
कोर्ट ने कहा कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की जा रही एसएमसी भर्तियां कतई प्रशंसनीय कदम नहीं हैं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान खेद जताया कि सरकार हर बार कोर्ट को नियमों के तहत शिक्षकों की भर्तियां करने का आश्वासन देती है। लेकिन इसके सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने पाया कि एसएमसी भर्तियां न केवल सरकार के अपने निर्णयों के खिलाफ हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ भी है। भर्ती प्रक्रिया न करने की गुहार
प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार द्वारा की गई एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां गैरकानूनी हैं। सरकार फिर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां करने जा रही है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। प्रार्थियों ने हाल ही में जारी अधिसूचना को रद करने व भर्ती प्रक्रिया को अंजाम न देने की गुहार लगाई है। प्रार्थियों ने 17 जुलाई 2012 को जारी एसएमसी शिक्षक भर्ती नीति व इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के 16 अगस्त 2014 के आदेशों के साथ समय-समय पर इस संदर्भ में जारी सरकारी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है। मामले पर सुनवाई पांच सितंबर को होगी।
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