बिन सुबूत नेताओं से नहीं जुड़े तार, निदेशक तक रहेगी जांच
कथित रिश्वतखोरी से जुड़े ऑडियो क्लिप मामले के तार नेताओं ने नहीं जुड़ पाए हैं। सूत्रों के अनुसार नेताओं की आपराधिक संलिप्तता के अभी तक कोई भी सुबूत हाथ नहीं लग पाए हैं। बिना सुबूतों के इन तक जांच की आंच नहीं पहुंच पाएगी। हालांकि आधिकारिक तौर पर विजिलेंस के अधिकारी इस बारे में कुछ भी नहीं कह रहे हैं। लेकिन ऑडियो तैयार करने वाले के बयान से तो जांच की दिशा ही बदल गई है। बयान में आरोप लगाया गया है कि स्वस्थ्य निदेशक उपकरणों आदि की सप्लाई के 45 लाख के बिलों
रमेश सिगटा, शिमला
कथित रिश्वतखोरी से जुड़े ऑडियो क्लिप मामले के तार नेताओं से नहीं जुड़ पाए हैं। सूत्रों के अनुसार नेताओं की आपराधिक संलिप्तता के अभी तक कोई सुबूत हाथ नहीं लग पाए हैं। बिना सुबूतों के इन तक जांच की आंच नहीं पहुंच पाएगी।
हालांकि आधिकारिक तौर पर विजिलेंस के अधिकारी इस बारे में कुछ भी नहीं कह रहे हैं, लेकिन ऑडियो तैयार करने वाले के बयान से जांच की दिशा ही बदल गई है। बयान में आरोप लगाया गया है कि निलंबित स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता उपकरणों आदि की सप्लाई के 45 लाख के बिलों के बदले पांच लाख की रिश्वत मांग रहा था। इससे वह तंग हो गया था। इससे छुटकारा पाने के लिए उसने अपने ही मोबाइल फोन से निदेशक को घूस देने की ऑफर की। सूत्रों के अनुसार बयान में कहा गया है कि उसका इरादा स्वास्थ्य विभाग के मुखिया को बदनाम करने का नहीं था। वह इस बात से इंकार कर रहा है कि ऑडियो उसने वायरल किया। उसने इसे एक कर्मचारी को भेजा। मंशा निदेशक की नीयत पर सवाल उठाने से जुड़ी थी। लेकिन, कर्मचारी ने इसे आगे भेजा तो यह वायरल हो गया। अब इस व्यक्ति को सरकारी गवाह बनाने की तैयारी है। आरोपित पर कसेगा और शिकजा
अगर ऑडियो बनाने वाले को गवाह बनाया गया तो उस सूरत में निलंबित निदेशक पर और कड़ा शिकंजा कसेगा। उनके खिलाफ केस और मजबूत हो सकता है। बयान में कहा गया है कि ऑडियो मजबूरी में बनाया गया। विजिलेंस से आग्रह किया कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए जिन- जिन लोगों, कर्मचारियों को निदेशक ने फोन किए, उन पर भी कारवाई हो। उसने आशंका जताई कि इससे केस के सुबूतों को मिटाने की कोशिश की गई। दावा किया है कि ऑडियो में कथित घूस की मांग करने वाला निदेशक ही था। ऑडियो बनाने वाला मार्केटिंग मैनेजर
ऑडियो बनाने वाला व्यक्ति सिरमौर जिले का रहने वाला है। वह भाजपा के एक बड़े नेता के रिश्तेदार के निजी अस्पताल में कार्यरत हैं और इससे संबंधित फर्म का मार्केटिग मैनेजर हैं। इसी ने स्वास्थ्य निदेशालय को उपकरणों की सप्लाई की थी। इस संबंध में 'दैनिक जागरण' ने रेणुका के पूर्व विधायक हिरदा राम से बात की। वह पूर्व में एचएएस अधिकारी रहे हैं। उनका कहना है कि ऑडियो जिस व्यक्ति ने बनाया है, वह उनका नजदीकी रिश्तेदार है। वर्ष 2011 में उसने मेरी उपचुनाव में काफी मदद की है और वर्तमान में सोलन में एक अस्पताल में मार्केटिग मैनेजर हैं। मैं उसका कानूनी सलाहकार भी हूं। लीक करने का आरोप गलत है। ऑडियो तब बनाया कि क्योंकि निदेशक उसे तंग कर रहे थे। इसे किसी दोस्त ने शेयर किया है। पति को फंसाया जा रहा है : डॉ. मधुरबाला
उधर, आरोपित डॉ. अजय कुमार गुप्ता की पत्नी डॉ. मधुरबाला गुप्ता का दावा है कि उनके पति को गलत तरीके से फंसाया गया है। निदेशक के पास रोजाना सप्लायर अपने काम के लिए आते थे, लेकिन कभी रिश्वत नहीं ली। सेवानिवृत्ति से पूर्व उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने किसी भी खरीद मामले में अकेले स्वीकृति नहीं दी। डॉ. ऑडियो बनाने वाला भी झूठ बोल रहा है। डॉ. अजय की किसी भी बड़े नेता से नजदीकियां नहीं थी।