एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
जयराम सरकार ने आखिर एनजीटी के अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर लगाई गई रोक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : जयराम सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर लगाई रोक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की है। इसमें एनजीटी द्वारा शिमला प्ला¨नग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर लगाई रोक को गलत बताया है। कहा है कि एनजीटी के पास ऐसा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं जिसके आधार पर वह भवनों की मंजिलों को निर्धारित कर सके। दायर अपील में जिन तथ्यों को रखा है उनमें शिमला शहर के अलावा 200 गांवों का जिक्र किया है जिनमें इन आदेश के बाद निर्माण कार्य बंद है।
एनजीटी के आदेश के कारण केवल 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित नहीं हआ है, बल्कि कई पंचायतों के 200 गांवों के आने से 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को 165 पेज के आदेश में शिमला प्ला¨नग एरिया में अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। साथ ही ग्रीन और कोर एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। जो भवन अनियमित थे और नियमित किया जाना था उनके लिए पर्यावरण सैस वसूलने के आदेश अढ़ाई मंजिल से अधिक के निर्माण पर 5000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से वसूलने के आदेश दिए थे। सरकार ने अपील में हवाला दिया है कि एनजीटी पर्यावरण संबंधी सैस की राशि निर्धारित नहीं कर सकती है।
अंग्रेजों के समय से लेकर अभी तक के नियमों का हवाला
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में अंग्रेजों के शासन से अभी तक के नियमों का हवाला दिया है। इन दस्तावेजों को जुटाने में लगे एक साल से अधिक समय के साथ एनजीटी के आदेश से प्रभावित क्षेत्रों का पूरा डाटा जुटाने में लगे समय का हवाला दिया है। एनजीटी द्वारा बिना वैज्ञानिक आधार के मंजिलों को निर्धारित करने के लिए दिए आदेश को गलत ठहराने के लिए कमेटी की रिपोर्ट का हवाला भी दिया है, जिससे मंजिलों का सही वैज्ञानिक आधार तय होता है। इसी आधार पर चार से पांच मंजिला भवन बनाने की अनुमित दिए जाने की मांग उठाई है। एनजीटी के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की गई है। इसमें अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर एनजीटी द्वारा लगाई रोक को निरस्त करने की अपील की गई है।
-सरवीण चौधरी, शहरी विकास मंत्री हिप्र