मित्रा के खिलाफ एक और जांच
पूर्व मुख्य सचिव एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। उनके खिलाफ एक और जांच शुरू हो गई है।
राज्य ब्यूरो, शिमला: पूर्व मुख्य सचिव एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार उनके खिलाफ आठ साल पहले की गई एक और शिकायत पर प्रारंभिक जांच (इन्क्वायरी) शुरू हो गई है। पहले इस शिकायत को रसूख के कारण रफा-दफा कर दिया गया था। अब सरकार के निर्देश पर फिर प्रारंभिक जांच होगी। यह शिकायत भी भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है। इसमें धारा 118 के तहत स्वीकृतियां देने के लिए कथित तौर पर भ्रष्ट तरीके अपनाए जाने के आरोप लगाए गए थे। यह शिकायत सीडी के अलावा है। सीडी विजिलेंस में वर्ष 2011 में दर्ज प्राथमिकी की केस प्रॉपर्टी है।
विजिलेंस पहले किसी भी शिकायत की प्रारंभिक जांच करती है। अगर लगे कि इसमें प्राथमिकी दर्ज करवाई जा सकती है तो फिर सरकार से अनुमति मांगी जाती है। सरकार की इजाजत के बाद ही एफआइआर दर्ज होती है। जांच एजेंसी पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है। इसे और शक्ति देने के लिए कोई दावे होते हैं।
सीएम कार्यालय कर रहा निगरानी
पी मित्रा के सीडी मामले की निगरानी मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव कार्यालय कर रहा है। विजिलेंस के एडीजीपी डॉ. अतुल वर्मा इसकी जांच की प्रगति सरकार को निरंतर रिपोर्ट कर रहे हैं।
गिरफ्तार होने से बचे मित्रा
पी मित्रा से जब विजिलेंस ब्यूरो में पूछताछ हुई तो वह गिरफ्तार होने से बच गए। हालांकि राजनीतिक गलियारों में गिरफ्तार होने की चर्चा रही। सोमवार को उनसे छह घंटे पूछताछ हुई।
सीएस के लिए नई तैनाती का मार्ग प्रशस्त
मित्रा राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं। अगर वह पद से इस्तीफा देते हैं तो उस हालात में मुख्य सचिव विनीत चौधरी की उनकी कुर्सी पर नजर रहेगी। चौधरी इस महीने सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जैसे-जैसे जांच हो रही है, मुख्य सचिव के लिए नई तैनाती का मार्ग प्रशस्त होता दिखाई दे रहा है।