चेहरों पर दिखी मेहनत के फल की खुशी
राजधानी शिमला के एचपीयू में हुए 24वें दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल व डिग्री हासिल करने वाले मेधावी चहक उठे।
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शुक्रवार को हुए 24वें दीक्षा समारोह में गोल्ड मेडल व डिग्री हासिल करने वाले मेधावी चहक उठे। मेहनत के फल की खुशी उनके चेहरों पर साफ झलक रही थी। हिमाचली टोपी और विशेष परिधान में मेधावियों ने खूब सेल्फी लीं और एक दूसरे को बधाई दी। साथ ही सर्टिफिकेट के साथ विशेष फोटो खिचवाते भी दिखे। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मेधावियों को मेडल व डिग्री देकर उनके उत्साह को दोगुना किया। इस दौरान गोल्ड मेडल पाने वाले मेधावियों से बातचीत की गई। मेडिटेशन से मिली सहायता : शालिनी
एमएमसी में गोल्ड मेडल पाने वाली शालिनी पॉल ने बताया कि पढ़ाई में उन्हें मेडिटेशन से सहायता मिली। वह अपनी सफलता का श्रेय मां को देती हैं जो पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने अपने गुरुजनों और स्वजनों का भी धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि वह प्रदेश के लोगों के विकास के लिए कुछ बड़ा करना चाहती हैं। नशे से दूर रहने का अचूक उपाय है योग : सूर्यवंशी
योग विषय में गोल्ड मेडल पाने वाले मुनीश सूर्यवंशी ने बताया कि योग नशे से दूर रहने का अचूक उपाय है। इससे युवा वर्ग नशे के दलदल में जाने से बच सकता है। योग प्रेक्टिस के लिए वह दो से तीन घंटे तक रोजाना समय देते हैं। उनकी प्रेरणा का स्रोत दादा जी हैं, जो उन्हें हमेशा योग के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायक रहते हैं। जैव विविधता पर करूंगी काम : दीक्षा
पर्यावरण विज्ञान विषय में गोल्ड हासिल करने वाली दीक्षा ने बताया कि वह हिमाचल की जैव विविधता पर काम कर रही हैं। वह जैव विविधता के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने की कोशिश करेंगी। उनके स्कूल, कॉलेज में रहे अध्यापक उनकी सफलता के कारण हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है की हिमाचल में जैव विविधता से संबंधित संसाधनों को बढ़ाया जाए। मां हैं मेरी प्रेरणा का स्रोत : महक
पर्सनल मैनेजमेंट विषय में गोल्ड मेडल पाने वाली महक बहक ने बताया कि वह मैनेजमेंट के क्षेत्र में नाम रोशन करना चाहती हैं। इसकी शुरुआत मेडल पाकर हो चुकी है। पढ़ाई में जमकर मेहनत करने के बाद उन्हें यह मुकाम मिला है। वह अपनी प्रेरणा का स्रोत मां को मानती हैं, जिन्होंने कुछ अलग करने के लिए हमेशा उनका साथ दिया। दिन में खेतीबाड़ी, रात को पढ़ाई : अनु
एमए हिदी में गोल्ड मेडल पाने पहुंची बिलासपुर की अनु कुमारी ने बताया कि घरेलू काम के बोझ से बचे समय में ही उन्होंने पढ़ाई की। खेतीबाड़ी सहित मवेशियों की देखभाल में सारा दिन बीत जाता था। रात को पढ़ाई के लिए समय निकालती थी। स्वजन भी खेती का काम करते हैं, लेकिन पढ़ाई के लिए हमेशा सहायक रहे हैं। मेडल पाकर वह बेहद खुश हैं। मेहनत का फल मीठा : वनीता
गोल्ड मेडल पाने वाली वनीता रानी ने बताया कि उन्होंने स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय में ईमानदारी से पढ़ाई की। दिन में 10 से 12 घंटे पढ़ाई को समय दिया, तब जाकर मेहनत का मीठा फल पाया है। शादी के बाद उनके ससुराल वालों ने उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने सफलता का श्रेय स्वजनों को दिया है। संसाधन बढ़ाए प्रदेश सरकार : मीनाक्षी
गोल्ड मेडल पाने वाली मीनाक्षी जसवाल ने बताया कि दिन में 15 घंटे पढ़कर सफलता हासिल की है। वह प्रोफेसर बनकर छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायता करना चाहती हैं। विश्वविद्यालय में फंड न होने की वजह से शोधकार्य में बाधाएं आती हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से विवि में संसाधनों की कमी पूरा करने के लिए ध्यान देने का आग्रह किया है। शिक्षा में शोध करने की अधिक जरूरत : अजय
एजुकेशन विषय में गोल्ड मेडल पाने वाले अजय कुमार ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में शोध करने की अधिक जरूरत है। नई शिक्षा नीतियों को अपनाने के तरीके में डेवलप करने होंगे। नशे की समस्या से जूझ रहे छात्रों के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय स्वजनों को दिया है।
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नई ड्रेस से ज्यादा खुश नहीं दिखे मेधावी
प्रदेश विवि के दीक्षा समारोह में पांच दशक के बाद परिधान में परिवर्तन लाया गया। हालांकि हिमाचली परिधान में मेधावी ज्यादा खुश नहीं दिखे। अधिकतर विद्यार्थी गाउन में डिग्री लेने का सपना संजोए थे, इसलिए कुछ नाराजगी रही। लेकिन हिमाचली परिधान में पहली बार डिग्री लेने का क्रेज भी कुछ छात्रों को चेहरे पर दिखा। दीक्षा समारोह में मेधावी विद्यार्थी गाउन पहनकर डिग्री लेते दिखते थे। पहली बार कुछ अलग करने के लिए ड्रेस कोड बदला गया। इस बार मेधावी विद्यार्थी कुल्लवी टोपी, खादी की जैकेट के साथ विवि का लोगो लगा मफलर पहने दिखाई दिए।