पंचायती एक्ट में संशोधन: पंच परमेश्वर के खिलाफ झूठी शिकायत करने वाले नहीं बचेंगे
राज्य सरकार पंचायती राज एक्ट में संशोधन करेगी। इससे हर शिकायत की जांच-पड़ताल करवाना जरूरी नहीं होगा।
शिमला, राज्य ब्यूरो। पंच परमेश्वर यानी पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ शिकायत करना अब आसान नहीं होगा। राजनीति द्वेष से पंचायत प्रधानों, वार्ड सदस्यों की शिकायत की तो शिकायतकर्ता ही नपेगा। इसके लिए राज्य सरकार पंचायती राज एक्ट में संशोधन करेगी। इससे हर शिकायत की जांच-पड़ताल करवाना जरूरी नहीं होगा।
असल में सैकड़ों शिकायतों ने प्रधानों की नाक में दम कर रखा है। इससे प्रदेश की राजनीति भी प्रभावित होती है क्योंकि कहीं न कहीं इनका भी भाजपा या कांग्रेस से ही संबंध रहता है। शिकायतों के कारण पंचायतों में विकास कार्य तो प्रभावित हो ही रहे हैं, सरकारी तंत्र की ऊर्जा भी जांच में जाया हो रही है। सरकार के पास सूचना है कि अधिकांश शिकायतें राजनीतिक द्वेष की भावना से होती है। ऐसे लोग भी शिकायत करते हैं, जिन्हें विकास कार्य का परोक्ष तौर पर ठेका नहीं मिल पाता है। कई तो ठेका हासिल करने के लिए आरटीआइ का सहारा भी लेते हैं। सेटिंग होने के बाद इन आरटीआइ को वापस ले लिया जाता है। अभी प्रदेश में सैकड़ों प्रधानों के खिलाफ शिकायतें आई हैं लेकिन अब मौखिक आधार पर जांच नहीं होगी। सरकार एक्ट में ही सख्त प्रावधान करेगी।
कितने सदस्य हैं पंचायती राज के प्रदेश में तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणाली के करीब 30 हजार चुने हुए प्रतिनिधि हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें प्रधानों के खिलाफ आती हैं। पंचायतों में फंड का सबसे ज्यादा प्रवाह रहता है। मनरेगा जैसी योजना पंचायतों के माध्यम से लागू की जा रही है।
सरकार बदले की भावना से कार्य नहीं करेगी। एक्ट में संशोधन करने पर विचार किया जा रहा है। संशोधन
हुआ तो झूठी शिकायतें नहीं हो पाएंगी। जायज शिकायतों के आधार पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
-वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज मंत्री।
पार्टी चिह्न पर नहीं चुनाव
पंचायतों के चुनाव पार्टी चिह्न पर नहीं होते हैं। लेकिन इसमें प्रमुख राजनीतिक दल अपने समर्थन से प्रत्याशी उतारते हैं। हार मिलने पर जीते हुए के खिलाफ शिकायतें करना आम धारणा बन जाती है। शिकायतों की तादाद सैकड़ों होगी। सरकार नियमानुसार कार्रवाई कर रही है। हर पर जांच करनी होती है। इस साल कितनों पर कार्रवाई हुई, यह रिकॉर्ड देखकर ही बता पाएंगे।
-आरएन बत्ता, सचिव, पंचायती राज।