मार्केटिंग बोर्ड, एपीएमसी की शक्तियों पर चलेगी कैंची
किसानों को बिचौलियां से राहत दिलाने और उनके कृषि उत्पादों के बेहतर दाम के लिए लाए जा रहे कृषि उपज विपणन विधेयक में मार्केटिग बोर्ड और एपीएमसी की शक्तियों पर कैंची चला सरकार के नियंत्रण में लाने की तैयारी है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : किसानों को बिचौलियों से राहत दिलाने और उनके उत्पादों के बेहतर दाम के लिए लाए जा रहे कृषि उपज विपणन विधेयक में मार्केटिंग बोर्ड और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) की शक्तियों पर कैंची चलाने की तैयारी है। कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय की अध्यक्षता में वीरवार को हुइ सिलेक्ट कमेटी की बैठक में सदस्यों ने कृषि मार्केटिंग बोर्ड, एपीएमसी व अन्य में निदेशक मंडल के सदस्यों को नामांकित करने की अपेक्षा चुनाव आधार पर चुनने का प्रस्ताव दिया। विधेयक में यह व्यवस्था होगी कि किसान के उत्पाद के पैसे न मिलने या धोखाधड़ी किए जाने पर विभाग और मार्केटिग कमेटी व सरकार के अलावा किसान भी प्राथमिकी दर्ज करवा सकेंगे। इसके आधार पर यह गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा।
कृषि उपज विपणन विधेयक पर मानसून सत्र के दौरान आपत्ति उठाने के बाद इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया था। कमेटी की बैठक में कांग्रेस के मुख्य सचेतक व किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी, चौपाल से भाजपा विधायक बलवीर वर्मा और रामपुर से कांग्रेस विधायक नंदलाल ने भाग लेकर विधेयक में बदलाव के लिए अपने सुझाव दिए। अभी तक मार्केटिग बोर्ड पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था। बोर्ड में जो निर्णय लिया जाता था उसमें सरकार कोई दखल नहीं कर सकती थी। अब सरकार का इसमें पूरा दखल रहेगा और किसान व बागवानों के हित सुरक्षित रहेंगे। कृषि उपज विपणन विधेयक में जरूरी बदलाव के बाद अब मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर चर्चा होगी। सरकार इसमें आवश्यक बदलावों को मंजूरी प्रदान करेगी और शीतकालीन सत्र में विधेयक पास हो सकता है।
कृषि मंडियों में तैनात किए जाएंगे सरकारी अधिकारी
किसानों और बागवानों की शिकायतों को सुनने के लिए सरकारी और निजी कृषि मंडियों में सरकारी अधिकारियों की तैनाती का प्रावधान किया गया है। इन अधिकारियों के पास किसान अपनी समस्याएं रख सकेंगे और उनका तुरंत निपटारा भी सुनिश्चित होगा।