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निजी स्कूल एक माह में मुख्यद्वार पर लगाएं सीसीटीवी कैमरे

शहर के निजी स्कूलों के खिलाफ प्रशासन ने कड़ा रूख इख्तयार किया है। राजधानी शिमला के निजी स्कूलों के मुख्य द्वार पर एक माह के अंदर सीसीटीवी कैमरे भी लगाने होंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 08:30 PM (IST)
निजी स्कूल एक माह में मुख्यद्वार पर लगाएं सीसीटीवी कैमरे

जागरण संवाददाता, शिमला : नियमों को पूरा करने में लापरवाह बने शहर के निजी स्कूलों के खिलाफ प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगा। उपायुक्त ने निर्देश दिए हैं कि राजधानी शिमला के निजी स्कूलों के मुख्यद्वार पर एक माह के अंदर सीसीटीवी कैमरे भी लगाने होंगे। इसके अलावा स्कूल शुरू होने और छुट्टी के समय स्टाफ को गेट पर पहुंचना होगा और अपनी निगरानी में बच्चों को स्कूल टैक्सी में बिठाना होगा। ऐसा न करने पर स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। शुक्रवार को स्कूल प्रधानाचार्य और प्रबंधन के सदस्यों के साथ हुई बैठक में स्कूल प्रबंधन को उपायुक्त ने ऐसे और भी कई निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता न करें और ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन को अपनी बसें खरीदने के भी आदेश जारी किए गए हैं। जिसमें चरणबद्ध तरीके से बसों को खरीने के लिए कहा गया है। शहर के निजी स्कूलों में नेताओं, आला अधिकारियों सहित वीआइपी के बच्चे शिक्षा हासिल करते हैं, लेकिन बावजूद इसके निजी स्कूलों की मनमानी जारी है।

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70 फीसद स्कूली छात्र सरकारी बसों में करते हैं सफर

शिमला शहर स्थित स्कूलों के 70 फीसद से अधिक बच्चे सरकारी बसों में सफर करते हैं। निजी स्कूलों ने एचआरटीसी बसों की सुविधा बच्चों के लिए लगा रखी है ताकि अपनी जिम्मेदारी से छूट सके, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने जो मॉडल स्कूल बस के नियम तय किए थे, उनके मुताबिक एक भी एचआरटीसी बस शहर में नहीं चल रही है। शहर में 62 बसें एचआरटीसी की स्कूली बस की भूमिका में हैं। वहीं दूसरी तरफ एचआरटीसी प्रबंधन का तर्क है कि जिन बसों को स्कूलों में भेजा जाता है, वे दिन में लोकल रूट पर भी चलती हैं। शहर के बड़े निजी स्कूलों के भीतर वर्दी, किताबें, जूते, खेल का सामान आदि कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन बस की सुविधा के लिए एचआरटीसी की ओर निजी स्कूल हाथ फैला देते हैं। शहर के किसी भी बड़े स्कूल के पास अपनी स्कूल बस नहीं है, जबकि नियमों के मुताबिक स्कूल बस होनी चाहिए। स्कूल बसें सामान्य बसों से अधिक सुविधा युक्त होती हैं। कई साल से निजी स्कूल प्रबंधनों की ओर से स्कूल बसें न खरीदना कई सवाल खड़े करता है। शहर के नामी स्कूलों में 20 हजार से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

निजी स्कूलों में विद्यार्थी का बयोरा

सैंट एडवर्ड स्कूल 1500

चेल्सी स्कूल 1800

ऑलैंड ब्वॉयज एंड ग‌र्ल्स,1900

ऑकलैंड स्कूल ताराहाल,1800

दयानंद पब्लिक स्कूल, 2000

डीएवी लक्कड़ बाजार,2200

डीएवी न्यू शिमला,3500

बीसीएस न्यू शिमला,500

शिमला पब्लिक स्कूल,500

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यह है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

-स्कूल बसों में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स की व्यवस्था करें।

-प्रत्येक बसों में अग्निशमन यंत्र लगाएं।

-बसों के आगे-पीछे स्कूल बस अंकित हो।

-एजेंसी से अनुबंध पर ली गई बसों पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखें।

-स्कूल बसों में सीट क्षमता के अनुरूप ही छात्रों को बैठाएं।

-प्रत्येक स्कूल बस में हॉरिजेंटल ग्रिल लगे।

-बसों पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर अवश्य लिखें।

-बसों के दरवाजे को अंदर से बंद करने की व्यवस्था करें।

-प्रत्येक बस चालक को कम से कम पाच साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव हो।

-किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।

- बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी।

-चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला हो।

-बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे व्यवस्था होनी चाहिए।

-बसों में टीचर हो, जो बच्चों पर नजर रखें। उपायुक्त ने स्कूल प्रिंसिपल के साथ बैठक

शुक्रवार को राजधानी के विभिन्न स्कूलों में परिवहन सुविधा, यातायात नियंत्रण और अन्य महत्वपूर्ण विषयों को लेकर हुई बैठक में कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उपायुक्त शिमला अमित कश्यप की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्कूलों के बाहर लगने वाले जाम व स्कूलों में लगी टैक्सियों में ओवरलो¨डग करने वाले टैक्सी चालकों और मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि छात्रों को स्कूल आने-जाने के लिए सुविधाजनक परिवहन सुविधा प्रदान की जानी चाहिए, ताकि उन्हें किसी भी तरह के तनाव अथवा असुरक्षा का सामना न करना पड़े।

सुरक्षा व्यवस्था व अन्य विषयों पर चर्चा

उपायुक्त ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों से आग्रह किया कि छात्रों में नशा सेवन की समस्या को समाप्त करने के लिए स्कूल प्रबंधन की तरफ से पर्याप्त कदम उठाए जाने चाहिए। यदि कोई छात्र इस समस्या से ग्रसित पाया जाए तो उसे समय पर उचित परामर्श प्रदान किया जाना चाहिए तथा साथ ही अभिभावकों के साथ समन्वय भी स्थापित किया जाना चाहिए।

अध्यापक अभिभावक बैठक की दें जानकारी

स्कूलों को पीटीएम की जानकारी पहले ही पुलिस अधीक्षक शिमला और एडीएम को देनी होगी। न ही सभी स्कूल एक ही दिन इस बैठक को करवा सकते हैं। स्कूल में पीटीएम की सूचना के बाद स्कूल के बाहर अतिरिक्त पुलिस जवान तैनात किए जाएंगे ताकि जाम जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

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स्कूल प्रधानाचार्यों के साथ बैठक की गई है। इसमें सुरक्षा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सभी स्कूलों को मुख्य गेट के पास सीसीटीवी कैमरा लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि चरणबद्ध तरीके से बसें खरीदने को भी कहा गया है। इसके अलावा स्कूल शुरू होने और छुट्टी के समय स्कूल स्टाफ भी मौजूद रहेगा। यह निर्देश दिए गए हैं और स्कूलों की ओर से सुझाव भी मांगे गए हैं।

अमित कश्यप, उपायुक्त शिमला


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