हादसों का पहाड़ : अनमोल जिंदगियों पर भारी मानवीय चूक
हिमाचल में प्रतिदिन नौ दुर्घटनाएं हो रही हैं, ज्यादातर दुर्घटनाएं मानवीय चूक और खस्ताहाल सड़कों के कारण हो रही हैं।
शिमला, राज्य ब्यूरो। पहाड़ी राज्य हिमाचल हादसों का प्रदेश साबित हो रहा है। सर्पीली सड़कों पर हर साल औसतन तीन हजार दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें कई अनमोल जान जा रही हैं। प्रदेश में रोजाना नौ हादसे घटित हो रहे हैं। एक दशक में दस हजार से अधिक लोग इन हादसों में काल का ग्रास बने।
गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार ज्यादातर दुर्घटनाएं मानवीय चूक और खस्ताहाल सड़कों के कारण हो रही हैं। सरकार को हर हादसे के बाद ब्लैक स्पॉट ठीक करने की याद आती है। सैकड़ों ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर मौत को न्यौता दे रहे हैं। 108 एंबुलेंस से जुड़ी कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में आठ सौ से अधिक ऐसे स्पॉट बताए हैं। बावजूद इसके ऐसे प्वाइंट पर न तो लोक निर्माण विभाग क्रैश बैरियर लगाता है और न ही पैरापिट।
पैरापिट नहीं
स्टेट हाईवे पर भी कई जगह पैरापिट नहीं हैं। ऐसी सड़कों की तादाद भी कम नहीं है, जहां पैरापिट न होने की वजह से हादसे हुए हैं। दुर्घटना संभावित जगहों पर पैरापिट लगे हों तो हादसे होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा कई नई सड़कों के निर्माण में भी डीपीआर में इनका प्रावधान नहीं रखा गया है। ऐसे में इंजीनियरिंग पर भी सवाल उठते हैं।
80 फीसद घटनाओं का कारण मानवीय चूक
हाल ही में एक संस्था के सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में 80 फीसद घटनाएं मानवीय चूक के कारण होती हैं। वहीं पांच फीसद घटनाएं तकनीकी कारणों और 15 फीसद घटनाएं सड़कों के खराब होने के कारण होती हैं। कितनी सड़कें हैं पक्की प्रदेश में 30 हजार किलोमीटर से अधिक मोटर योग्य सड़क है। लेकिन करीब 60 फीसद सड़कें ही पक्की हैं। इनका भी उचित रखरखाव नहीं हो रहा है। इन कच्ची सड़कों पर थोड़ी सी भी बारिश हो जाए तो भूस्खलन के कारण यातायात रुक जाता है। ऐसे में ऐसी जगहों पर यात्रा करनी जोखिम भरा हो जाता है।