पंचायतों का पुनर्गठन करने के लिए 48 दिन शेष
राज्य में पंचायतों का पुनर्गठन नहीं होने की वजह से जनगणना में शामिल नहीं किया जाएगा। समस्या ये रहेगी कि समस्त पंचायतों शहरी निकायों की जनसंख्या को जनगणना प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा। शर्त के मुताबिक सरकार को प्रदेश में पंचायतों का पुनर्गठन इस वर्ष के अंत तक करना है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में पंचायतों का पुनर्गठन न होने से इनकी आबादी को जनगणना में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे समस्या यह होगी कि समस्त पंचायतों व शहरी निकायों की जनसंख्या जनगणना प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेगी। शर्त के मुताबिक सरकार को प्रदेश में पंचायतों का पुनर्गठन इस वर्ष के अंत तक करना है। इसके बाद ही दूसरे चरण की प्रक्रिया में पंचायतों को शामिल किया जाएगा।
पंचायतों का पुनर्गठन करने के लिए सरकार के पास केवल 48 दिन रह गए हैं। वहीं, जनगणना के महापंजीयक ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 31 दिसंबर के बाद कोई भी नई पंचायत, स्थानीय निकाय, शहरी निकाय सहित अन्य किसी भी निकाय की जनगणना को शामिल नहीं किया जाएगा। विशेष तौर पर पंचायती राज विभाग को कहा कि पुनर्गठन की प्रक्रिया को 31 दिसंबर से पहले पूरा किया जाए। हालांकि पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर पंचायतों का पुनर्गठन करने का एलान कर चुके हैं मगर इससे संबंधित औपचारिकताएं अभी पूरी नहीं हुई हो पाई हैं।
विभाग की ओर से पुनर्गठन प्रक्रिया पूरी की जाती है तो मौजूदा पंचायतों की संख्या में फेरबदल हो सकता है। प्रदेश में 3226 पंचायतें हैं। पंचायतों के पुनर्गठन के लिए अभी डाटा तैयार किया जा रहा है। जिन पंचायतों में सात से अधिक वार्ड हैं और जनसंख्या अधिक है, उनका ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है। जिन पंचायतों के वार्ड दो से तीन विधानासभा क्षेत्रों में आ रहे हैं, उनके पुनर्गठन की भी योजना है। इसके लिए पंचायतों के लोगों से सुझाव लिए जा रहे हैं। ऐसी पंचायतों की संख्या सैकड़ों में है और लोगों द्वारा लगातार मांग उठाई जा रही है। प्रदेश में कुछ पंचायतें ऐसी हैं जिनके वार्ड 12 और इससे भी अधिक हैं। वार्ड की संख्या अधिक होने से विकास कार्य भी प्रभावित बाधित होता है।
हिमाचल में वर्ष 1952 में 280 ग्राम पंचायतें थीं। 1952 में हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2010 में प्रदेश में 3243 ग्राम पंचायतें थी। वर्ष 2015 में 17 पंचायतों का विलय नगर पालिकाओं में होने के कारण ग्राम पंचायतों की संख्या 3226 रह गई। 31 दिसंबर तक राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायती राज विभाग से इस संदर्भ में पूरा ब्योरा मांगा है।