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बेसहारा गायों का होगा पुनर्वास

बेसहारों गायों को संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने पुनर्वास योजना को मंजूरी प्रदान की है। गौ सदनों व गौ अभ्यारणयों को हर माह 500 रुपये प्रति गाय दिया जाएगा। बेसहारा पशुओं की समस्या के समाधान लोगों व संस्थाओं को इन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने और राज्य में गौ अभयारण्य व

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 08:03 PM (IST)
बेसहारा गायों का होगा पुनर्वास

राज्य ब्यूरो, शिमला : बेसहारा गायों को संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने पुनर्वास योजना को मंजूरी प्रदान की है। गो सदनों को हर माह 500 रुपये प्रति गाय राशि दी जाएगी। बेसहारा पशुओं की समस्या के समाधान, लोगों व संस्थाओं को इन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने और गौ सदनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए बेसहारा पशुओं का पुनर्वास योजना आरम्भ करने को मंजूरी प्रदान की गई है। पशुपालन विभाग को भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप गायों की टैगिग का कार्य तीन माह में पूरा करने के लिए कहा गया है।

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कांगड़ा जिले में पशु औषधालय नगरोटा बंगवा को आंचलिक पशु औषधालय के रूप में स्तरोन्नत करने और विभिन्न श्रेणियों के सात पद सृजित करने व भरने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में तीस हजार बेसहारा पशु हैं जो सड़कों पर घूम रहे हैं। चार विशेष भू-अधिग्रहण इकाइयों को विस्तार

चार विशेष भू-अधिग्रहण इकाइयों को एक मार्च 2020 से 28 फरवरी, 2021 तक एक वर्ष के लिए विस्तार देने का निर्णय लिया गया। पहले से ही उपलब्ध स्टाफ के साथ कार्य करने की भी अनुमति प्रदान की गई। इन इकाइयों में बिलासपुर, पंडोह-1, पंडोह-2 और शाहपुर शामिल हैं। कीरतपुर-बिलासपुर, नेरचैक-पंडोह, पंडोह-टकोली, टकोली-कुल्लू-मनाली और पठानकोट-चक्की-मंडी फोरलेन परियोजनाओं के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण होना है। इनमें करीब 30 के करीब सेवानिवृत्त तहसीलदार, कानूनगो व पटवारी सेवाएं दे रहे हैं। देहरा में सीएसडी केंटीन के लिए भूमि हस्तांतरण को मंजूरी

कांगड़ा जिला के देहरा मे ईसीएचएस पॉलीक्लीनिक एवं ईसीएम, सीएसडी कंटीन स्थापित करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के पक्ष में नि:शुल्क भूमि हस्तांतरित करने को अपनी स्वीकृति प्रदान की। स्वावलंबन योजना में अब 35 प्रतिशत अनुदान

मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए इसमें संशोधन का निर्णय लिया है। योजना के तहत स्वीकृत इकाइयों में बैंक द्वारा आवंटित की गई ऋण की पहली किस्त के एक वर्ष भीतर विनिर्माण व सेवा उपक्रमों में व्यावसायिक उत्पादन आरम्भ करना अनिवार्य होगा। यदि इन इकाइयों की स्थापना हिमाचली मूल की विधवा ने किया हो और उसकी उम्र 45 वर्ष तक हो उस स्थिति में पात्र अनुदान की राशि 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत की गई है। मेडिकल कॉलेज नेरचौक में बीएससी नर्सिग की सीटें बढ़ी

-लाल बहादुर शास्त्री राजकीय डिग्री कालेज एवं अस्पताल, नेरचैक में बीएससी नर्सिंग की सीटें 40 से बढ़ाकर 60 करने को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने को स्वीकृति।

-आइजीएमसी शिमला में रेडियोलॉजी एवं गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर और टांडा मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफसर एनॉटमी एवं पेडियट्रिक्स का एक-एक पद सृजित करने व भरने का निर्णय।


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