पानी, बिजली व टैक्स हो माफ, सरकार से आस
लॉकडाउन की मार शहर के पर्यटन से जुड़े कारोबारियों पर ज्यादा है। ये मार इन कारोबारियों पर लंबे समय तक सहन करनी पड़ सकती है।
जागरण संवाददाता, शिमला : कोरोना संकट के बीच कर्फ्यू की मार शहर के पर्यटन से जुड़े कारोबारियों पर ज्यादा है, जो आगे भी बढ़ सकती है। होटल बंद होने के बावजूद इन्हें लाखों रुपये का खर्च मासिक वहन करना पड़ रहा है। राजधानी के बड़े होटलों की बात करें तो मासिक दस लाख रुपये का खर्च उठा रहे हैं। कुछ होटलों का खर्च पांच लाख रुपये मासिक तक है। छोटे होटल जो आठ से दस कमरों के चलते हैं, उनका मासिक खर्च भी 60 हजार रुपये आ रहा है। वहीं बंद होटलों में भी 15 से 20 हजार रुपये का बिजली बिल आज रहा है।
होटल एसोसिएशन का कहना है कि पानी, बिजली, कूड़े और टैक्स के बिल सीधे तौर पर राज्य सरकार से जुड़े हैं। सरकार होटलियरों को इसमें राहत देती है तो इस इंडस्ट्री को बचाया जा सकता है। कारोबारी अपने स्टाफ को वेतन दे रहे हैं। दूसरी तरफ हजारों रुपये के बिल सरकार की ओर से थमाए जा रहे हैं। कम से कम इन बिलों को माफ करें या फिर घरेलू दर पर ही जारी हों तो बड़ी राहत होगी। इससे सरकार इस इंडस्ट्री को बचाए रखने में मददगार साबित होगी। चार से पांच लाख का मासिक खर्च : कंवर उदय
वुडविला होटल के संचालक कंवर उदय सिंह ने कहा कि होटल के रखरखाव से लेकर अन्य खर्च ही पांच लाख रुपये मासिक आ रहा है। बिलों की राशि पर सरकार कोई फैसला लेती है तो इल उद्योग को काफी राहत मिल सकती है। बिलों में राहत देकर बचाए सरकार : विकास
रेडिसन होटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विकास कपूर ने कहा कि होटल के रखरखाव, बिजली पानी से लेकर अन्य खर्च पर माह में 10 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। होटल में काम कर रहे लोगों का वेतन इससे अलग है। सरकार को कम से कम बिलों में राहत देकर इस उद्योग को बचाने में मदद करनी चाहिए। जल्द फैसला ले सरकार : संजय सूद
शिमला होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सूद ने सरकार से बिजली, पानी, कूड़े और टैक्स के बिल माफ करने की बात कही हैं। उन्होंने कहा कि हर होटल मालिक को हजारों रुपये का बिल चुकाना पड़ रहा है। इससे राहत मिलेगी तो कर्मचारियों का वेतन लंबे समय तक दिया जा सकेगा। सरकार को इन मसलों पर शीघ्र ही कोई फैसला लेना चाहिए।