भाजपा चार्जशीट के 41 में से 25 आरोपों में दम
भाजपा की चार्जशीट से विजिलेंस ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक का सबसे बड़ा घोटाला पकड़ा है। यह घोटाला ऊना की एक फर्म को 70 करोड़ का कर्जा बांटने से जुड़ा है। इस सिलसिले में केसीसी बैंक को भी पत्र लिखा है। जैसे ही राज्य सरकार से अनुमति मिलेगी वैसे ही एफआइआर दर्ज होगी। लेकिन बैंक प्रबंधन अभी तक अपनी ओर से केस दर्ज की सिफारिश नहीं कर पाया है। इससे नियमों के खिलाफ कर्जा बांटने वाले अधिकारी कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं हो पाएगी। अब यह मामला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर यानी निदेशक मंडल की बैठक में जाएगा। हां फर्म की अंब स्थित फेक्टरी की संपति को नीलाम करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।
रमेश सिंगटा, शिमला
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भाजपा की ओर से बनाई गई चार्जशीट की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। विजिलेंस ने 76 पन्नों की चार्जशीट की जांच में 41 में से 25 आरोपों में दम पाया है। पूर्व मंत्रियों के खिलाफ गड़बड़झाले के आरोप नहीं मिले हैं। भाजपा की चार्जशीट से विजिलेंस ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक का सबसे बड़ा घोटाला पकड़ा है। यह घोटाला ऊना की एक फर्म को 70 करोड़ का कर्ज बांटने से जुड़ा है।
आरोप है कि केसीसी बैंक ने नियमों के विपरीत ऊना की फर्म को कर्ज दिया। विजिलेंस ने इस सिलसिले में केसीसी बैंक को पत्र लिखा है। जैसे ही राज्य सरकार से अनुमति मिलेगी, वैसे ही एफआइआर दर्ज होगी। बैंक प्रबंधन अभी तक अपनी ओर से केस दर्ज करने की सिफारिश नहीं कर पाया है। अब यह मामला निदेशक मंडल की बैठक में जाएगा। फर्म की अम्ब स्थित फैक्टरी की संपत्ति को नीलाम करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इससे भी 20 करोड़ से अधिक राशि वसूल नहीं हो पाएगी और वो भी तब, जब पूरी रिकवरी होगी। शेष 50 करोड़ रुपये कैसे चुकाए जाएंगे, इस सवाल का बैंक प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है। विजिलेंस की कार्रवाई से पूर्व सरकार की कर्ज आवंटन करने वाली कमेटी की मुश्किलें बढ़ेंगी। तब कमेटी में कई निदेशक व अधिकारी शामिल थे। कर्ज आवंटन से संबंधित नियमों की अनदेखी की गाज इन पर गिरना तय है। केस दर्ज होने पर इनकी गिरफ्तारी भी होगी। चार्जशीट में केसीसी बैंक पर आरोप
-ऋण घोटाला : केसीसी बैंक के अध्यक्ष ने दबाव डालकर कुल्लू शाखा से तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आय से अधिक मामले में गिरफ्तार रहे परवाणू के आढ़ती चुन्नी लाल की फर्म को 1.3 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। इसमें नियमों की अनदेखी हुई। इस राशि को वापस नहीं लौटाया गया।
- बैंक के निदेशक के रिश्तेदार की फर्जी फर्म को 19.50 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया। इसके लिए नियमों को तोड़ा गया।
-64 करोड़ का कर्ज अम्ब की एक फर्म को दिया गया। इसमें प्रदेश से बाहर की भूमि की सिक्योरिटी ली गई। यह कर्ज वापस नहीं किया गया।
-पालमपुर की एक फर्म को 25 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया। बैंक अध्यक्ष के प्रभाव में वसूली के कोई प्रयास नहीं किए गए।
---------- पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ऊना की एक फर्म को 70 करेाड़ रुपये का कर्ज दिया गया। विजिलेंस का पत्र आया है। रिकवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोनिग कमेटी में निदेशक व अधिकारी शामिल थे। बीओडी में इस मामले में फैसला लेंगे। कई आरोपों की विजिलेंस जांच चल रही है। मौजूदा प्रबंधन कोई मेहरबानी नहीं बरत रहा है।
डॉ. राजीव भारद्वाज, अध्यक्ष, केसीसी बैंक
----- ऊना की फर्म को नियमों के विपरीत कर्ज दिया गया। इसमें विजिलेंस एंगल सामने आया है। इस कारण एफआइआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है। अभी सरकार से अनुमति नहीं आई है।
अनुराग गर्ग, एडीजीपी (विजिलेंस)