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अब फास्टैग के नाम पर हो रही ठगी

साइबर के बढ़ते मामलों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सीआइडी का साइबर सेल सतर्क हो गया है। अब फास्टैग के नाम पर भी शातिर ठग ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने ताजा एडवायजरी जारी की है। इसे सीआइडी ने गंभीरता से लिया है। वाहन धारकों को सलाह दी है कि वे फास्टैग के लिए अपने वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के माध्यम से ही अधिकृत एप्लीकेशन में पंजीकृत करवाएं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 06:18 AM (IST)
अब फास्टैग के नाम पर हो रही ठगी

राज्य ब्यूरो, शिमला : साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सीआइडी का साइबर सेल सतर्क हो गया है। अब फास्टैग एल्लीकेशन के नाम पर भी शातिर ठगी कर रहे हैं। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने एडवायजरी जारी की है। इसे सीआइडी ने गंभीरता से लिया है। वाहनधारकों को सलाह दी गई है कि वे फास्टैग के लिए अपने वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के माध्यम से ही अधिकृत एप्लीकेशन में पंजीकृत करवाएं।

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बैंक अधिकारी बनकर ठग किसी से भी बैंक खाते का वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मांग सकते हैं। अगर यह ओटीपी साझा हो गया तो फिर आपके खाते से लाखों रुपये उड़ाए जा सकते हैं। जालसाज स्मार्टफोन पर संदेश देकर नई व्यवस्था में पंजीकरण के लिए छूट देने का झांसा दे सकते हैं। उनके झांसे में न आएं। क्या है फास्टैग

राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले सभी चारपहिया वाहनों पर फास्टैग लगाना अनिवार्य होगा। इस तकनीक का इस्तेमाल देशभर के नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर होगा। फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन का इस्तेमाल होता है। इस टैग को वाहन के विडस्क्रीन पर लगाया जाता है। जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है तो वहां लगा सेंसर आपके वाहन की विडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है। इसके बाद आपके फास्टैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है। इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके बगैर शुल्क का भुगतान कर पाते हैं। वाहन में लगा यह टैग आपके खाते के सक्रिय होते ही अपना काम शुरू कर देगा। क्यूआर कोड से ठगी के सात मामले

ऑनलाइन भुगतान के लिए क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड के नाम पर भी ठगी हो रही है। हिमाचल में इस तरह की ठगी के तीन महीने में सात मामले सामने आए हैं। क्यूआर कोड का इस्तेमाल ऑनलाइन भुगतान के लिए भी किया जाता है। साइबर क्राइम के डीएसपी नरबीर राठौर के अनुसार इससे ठगी करने के कई मामले आए हैं। साइबर अपराधी विक्रेता या खरीदार बनकर ईमेल, वाट्सएप आदि के माध्यम से क्यूआर कोड भेजते हैं। वे व्यक्ति को कोड स्कैन करने को कहते हैं। कोड स्कैन करने पर खाते से पैसे कट जाते हैं। क्या दी सलाह

यदि कोई आपसे अपने खाते में पैसे जमा करने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए कहे तो सतर्क रहें। ठग सार्वजनिक स्थानों पर नकली कोड चिपकाते हैं। ऐसी जगह क्यूआर कोड स्कैन करने से बचें।


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