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वीरभद्र समर्थक दो जिलाध्यक्ष हटाए

राज्य ब्यूरो, शिमला : कुछ समय पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सि

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 01:00 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, शिमला : कुछ समय पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को सार्वजनिक तौर पर चेताया था कि सचिवों की नियुक्ति में किसी को विश्वास में नहीं लिया गया। अब प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण माने जाने वाले मंडी जिला के दो संगठनात्मक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। नियुक्तियों में वीरभद्र सिंह समर्थकों का दर्जा तो बढ़ाया गया मगर सियासी दृष्टि से इसके कोई मायने नहीं हैं। दोनों संगठनात्मक जिलों में कौल समर्थकों की नियुक्ति हुई है।

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मंडी जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा को बनाया गया व सुंदरनगर जिला की कमान पवन ठाकुर को दी गई है। तीन नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जिला शिमला ग्रामीण में प्रकाश ठाकुर का नाम भी शामिल है। सुक्खू की सूची पर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुहर लगा दी है। इन नियुक्तियों के विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत कई मायने निकाले जा रहे हैं। तीन संगठनात्मक जिला काग्रेस अध्यक्षों की पार्टी में उनकी सेवाओं को देखते हुए पदोन्नत किया गया है। सोनिया गांधी की स्वीकृति से टेकचंद डोगरा, पूर्ण चंद ठाकुर व केहर सिंह खाची को संगठन में उपाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया है। अभी तक ये नेता मंडी, सुंदरनगर व जिला शिमला ग्रामीण जिलाध्यक्ष थे। तीनों संगठनात्मक जिलों मे नए जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां की गई हैं। टेकचंद डोगरा व पूर्ण चंद ठाकुर वीरभद्र समर्थक माने जाते हैं। दीपक शर्मा व पवन ठाकुर को कौल सिंह का समर्थक माना जाता है। इसके साथ ही प्रदेश काग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष नरेश चौहान के सराहनीय कार्य को देखते हुए व अर्की विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2012 में काग्रेस प्रत्याशी रहे संजय अवस्थी को प्रदेश काग्रेस महासचिव बनाया गया है।

ये हुई नियुक्तियां

तीन उपाध्यक्ष

1. टेकचंद डोगरा

2. पूर्ण चंद ठाकुर

3. केहर सिंह खाची

दो महासचिव

1. नरेश चौहान

2. संजय अवस्थी

तीन संगठनात्मक जिलाध्यक्ष

1. दीपक शर्मा, मंडी जिलाध्यक्ष

2. पवन ठाकुर, सुंदरनगर जिलाध्यक्ष

3. प्रकाश ठाकुर, जिला शिमला ग्रामीण

गरमाई थी सचिवों की नियुक्ति

संगठन में सचिवों की नियुक्ति का मामला इतना गर्मा गया था कि दो सचिवों ने पद छोड़ दिया था। संगठन में 57 सचिवों की नियुक्ति मनमर्जी से करने के आरोप लगे थे। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर इस पर चिंता जाहिर की थी।


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