आइआइटी कैंपस में निजी स्कूल खोलने पर प्रबंधन सहित मंत्री को नोटिस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी में नियमों को ताक पर रखकर कर एक निजी संस्था का स्कूल खोलने का मामला गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. दिनेश रतन भारद्वाज ने मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर, सचिव आर सुब्रामण्यम, आइआइटी मंडी के निदेशक प्रो. टिमोथी ए गोंजाल्विस, बीओजी के अध्यक्ष सुबोध भार्गव सहित 11 अन्य लोगों को नोटिस दिया है। मामले में सभी पक्षों से 21 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है। मानव संसाधन मंत्रालय ने 2
जागरण संवाददाता, मंडी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी में नियमों को ताक पर रखकर कर एक निजी संस्था का स्कूल खोलने का मामला गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. दिनेश रतन भारद्वाज ने मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर, सचिव आर सुब्रामण्यम, आइआइटी मंडी के निदेशक प्रो. टिमोथी ए गोंजाल्विस, बीओजी के अध्यक्ष सुबोध भार्गव सहित 11 अन्य लोगों को नोटिस जारी किया है। मामले में सभी पक्षों से 21 दिन के अंदर जवाब मांगा है। मानव संसाधन मंत्रालय ने 28 जुलाई 2016 को एक अधिसूचना जारी कर देशभर के आइआइटी में केंद्रीय विद्यालय खोलने के निर्देश दिए थे। जिन संस्थानों में पहले से निजी संस्थाओं के स्कूल खोले गए थे। उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा गया था। आइआइटी मंडी के प्रबंधन ने मानव संसाधन मंत्रालय के इन आदेशों को दरकिनार कर आइआइटी कैंपस में स्कूल खोलने के लिए चंडीगढ़ की माइंड ट्री संस्था के साथ करार कर लिया। संस्था ने आइआइटी कैंपस में अप्रैल 2017 में स्कूल शुरू कर दिया। स्कूल के लिए नॉर्थ कैंपस में आइआइटी प्रबंधन की तरफ से भवन उपलब्ध करवाया गया है। भवन निर्माण पर करोड़ों की राशि खर्च हुई है। स्कूल में आइआइटी की फैकल्टी के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चों से एडमिशन व ट्यूशन फीस के नाम पर हजारों रुपये लिए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को स्कूल का कोई फायदा नहीं हुआ है। गरीब तबके के लोग दस हजार से अधिक दाखिला फीस देने में सक्षम नहीं है।
केंद्रीय विद्यालय में नाममात्र की एडमिशन व ट्यूशन फीस है। आइआइटी प्रबंधन माइंड ट्री संस्था से भवन की एवज में कोई किराया नहीं ले रही है। तीन एकड़ में बने स्कूल भवन का मासिक किराया लाखों रुपये बनता है।
डॉ. दिनेश रतन भारद्वाज ने कहा अगर नोटिस का 21 दिन के अंदर जवाब नहीं दिया तो केंद्र सरकार को लाखों रुपये का चूना लगाने के आरोप में संबंधित पक्षों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला चलाया जाएगा।