खुद को नहीं डाल पाएंगे वोट
मुकेश मेहरा मंडी अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए दूसरों के वार्डों से चुनाव लड़ रहे सात उ
मुकेश मेहरा, मंडी
अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए दूसरों के वार्डों से चुनाव लड़ रहे सात उम्मीदवारों को वार्ड बदलने पर ही चार से पांच वोटों का नुकसान हुआ है। ये न तो अपना वोट खुद को दें पाएंगे और न इनका परिवार। ऐसे में इनका सियासी वजूद दूसरों के सहारे है। इसमें निवर्तमान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षद भी शामिल हैं। आरक्षण के कारण यह स्थिति इनके लिए बनी है।
रविवार को छह नगर निकायों के लिए मतदान होगा। इनमें सबसे रोचक चुनावी जंग रिवालसर और सरकाघाट में है। रिवासलर के वार्ड एक से लगातार चार बार चुनाव जीत चुके निवर्तमान अध्यक्ष लाभ सिंह और पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार के बीच मुकाबला है। लाभ सिंह वार्ड आरक्षित होने के कारण इस वार्ड से उतरे हैं। उनके परिवार के 12 वोट हैं। इसी तरह सरकाघाट के निवर्तमान अध्यक्ष संदीप वशिष्ट का वार्ड आरक्षित होने पर वार्ड छह रोपा से चुनाव लड़ रहे हैं। यह वार्ड भी पूर्व अध्यक्ष प्रेम कुमारी का है। उनके परिवार के सात वोट भी उनको नहीं मिलेंगे। इसी तरह नेरचौक में निवर्तमान उपाध्यक्ष चेत सिंह ढांगू वार्ड के आरक्षित होने पर नेरचौक-तीन और रजनीश सोनी रत्ती वार्ड के पंचायत में जाने से मझायठल-दो से चुनाव लड़ रहे हैं। उनको भी स्वजनों के छह और पांच वोट नहीं मिलेंगे।
सुंदरनगर के निवर्तमान पार्षद जितेंद्र शर्मा वार्ड पांच के आरक्षित होने पर वार्ड तीन से चुनाव लड़ रहे हैं, इनके परिवार में सात वोट हैं। दुर्गा प्रसाद भी इसी तरह वार्ड दो से लड़ रहे हैं, इनके अपने पांच वोट हैं। इसी गौरव धीमान 11 नंबर वार्ड आरक्षित होने पर 12 से चुनाव लड़ रहे हैं, इनके पांच वोट परिवार के ही हैं। जोगेंद्रनगर के निवर्तमान पार्षद अजय धरवाला भी वार्ड तीन की जगह छह से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अपने तीन वोट हैं, जो इनको नहीं मिलेंगे।
दूसरे वार्डों से चुनाव लड़ने वाले इन प्रत्याशियों और इनके परिवारों का अपना मत किसे जाएगा। यह भी लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। साफ है कि चुनावों में एक वोट हार-जीत तय करता है, जबकि इनको सीधे चार से पांच अपने वोटों का ही नुकसान हुआ है।