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नानी ने जीवन संवारा, दोहते ने जान लेकर फर्ज उतारा

भुताशन शर्मा सरकाघाट छोटी उम्र में मां का साया सर से उठा तो पिता ने दूसरी शादी कर ली। दोनों दोहतों को नानी गीता देवी ने पालापोसा और अपनी जिदगी उन्हीं के नाम कर दी लेकिन उसी दोहते ने सिर्फ खाना न बनाने को लेकर नानी पर कुल्हाड़ी से वार कर उनकी सांसे छिन ली। मामला सरकाघाट के बलद्वाडा पंचायत का है। यहां की रहने वाली गीता देवी पर 13 मई को कुल्हाड़ी से हमला हुआ और हमलावर कोई और नहीं वही दोहता था जिसके लिए अपने सूख सुविधाएं दरकिनार कर दी थीं। गीता देवी ने

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 06:58 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:58 PM (IST)
नानी ने जीवन संवारा, दोहते ने जान लेकर फर्ज उतारा
नानी ने जीवन संवारा, दोहते ने जान लेकर फर्ज उतारा

-बलद्वाड़ा में हैरान करने वाला मामला आया सामने

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-खाना न बनाने पर 13 मई को किया था कुल्हाड़ी से वार

भुताशन शर्मा, सरकाघाट

छोटी उम्र में मां का साया सिर से उठा, तो पिता ने दूसरी शादी कर ली। दोनों दोहतों को नानी गीता देवी ने पाला पोसा और अपनी जिदगी उन्हीं के नाम कर दी, लेकिन उन्हीं में से एक दोहते ने सिर्फ खाना न बनाने को लेकर नानी पर कुल्हाड़ी से वार कर उनकी सांसे छिन ली।

मामला सरकाघाट के बलद्वाडा पंचायत का है। यहां रहने वाली गीता देवी पर 13 मई को कुल्हाड़ी से हमला हुआ और हमलावर कोई और नहीं वही दोहता था, जिसके लिए अपनी सुख सुविधाएं दरकिनार कर दी थीं। गीता देवी ने अपनी बेटी की शादी जुकैंन गांव में की थी। दो बेटों के जन्म के बाद गीता देवी की मौत हो गई। पत्नी की मौत के बाद पति ने दूसरा विवाह कर लिया, तो नानी दोनों दोहतों को साथ ले आई। दोनों को पढ़ाया लिखाया और दोनों की शादियां की। बाकायदा जमीन भी इनके नाम कर दी। इसमें से बड़े वाला सेना में भर्ती हुआ, जबकि अजय दिहाड़ी लगाता था। बड़ा भाई अपनी मां की मौत के लिए पिता को जिम्मेदार ठहराता था और उसने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। वह अभी जेल में है। छोटा भाई अजय घर में नानी के साथ परिवार सहित रहता था। 13 मई की रात को जब काम से लौटा तो नानी ने खाना नहीं बनाया था। गुस्से में नानी से बहस करने लगा और वहीं कमरे में पड़ी कुल्हाड़ी से नानी के सिर पर वार कर दिया और फरार हो गया। गीता देवी गंभीर घायल हुई और 17 दिन बाद उसकी मौत हो गई। जिस नानी ने पूरी जिदगी दोनों बच्चों के नाम कर दी और अपने सुख त्याग कर उनको पढ़ाया लिखाया, जब नानी की सेवा का मौका आया तो उनकी सांसें ही छीन ली।


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