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दस सेंसर रखेंगे भूस्खलन पर नजर

हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन का पूर्वानुमान लगाना अब संभव होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 04:24 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jun 2018 04:24 PM (IST)
दस सेंसर रखेंगे भूस्खलन पर नजर
दस सेंसर रखेंगे भूस्खलन पर नजर

हंसराज सैनी, मंडी

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हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन का पूर्वानुमान लगाना अब संभव होगा। भूस्खलन होने से पहले सायरन बजेगा और लालबत्ती जगेगी। इससे वाहन चालक खतरे को भांपकर सुरक्षित स्थान पर रुक सकेंगे। समय रहते लोग सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच सकते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनिय¨रग के विशेषज्ञों की ओर से तैयार किए गए भूस्खलन की पूर्व सूचना देने वाले तंत्र को मंडी जिला प्रशासन ने अब धरातल पर उतारने का निर्णय लिया है।

मनाली-चंडीगढ़ व पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील दस स्थानों पर पहाड़ों में सेंसर लगेंगे। सेंसर पहाड़ों के अंदर होने वाली हल्की सी हलचल पर नजर रखेंगे। भूस्खलन के लिहाज से मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंडोह, हणोगी, दवाडा, खोती नाला व सात मील आदि क्षेत्र अतिसंवेदनशील हैं।

पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुम्मा, घटासनी व कोटरोपी को अंतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इन स्थानों पर पांच-पांच सेंसर लगेंगे। सेंसर इंटरनेट के माध्यम से उपायुक्त कार्यालय व आइआइटी के नियंत्रण कक्ष से जुड़े रहेंगे। सेंसर के साथ ऊंचे स्थानों पर सायरन व सड़क किनारे खंभे पर लालबत्ती लगाई जाएगी। लालबत्ती व सायरन सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। पहाड़ के अंदर हल्की हलचल होने पर सेंसर के सक्रिय होते ही लालबत्ती टिमटिमाना शुरू कर देगी। इससे वाहन चालक संभावित खतरे को देख एकदम सचेत हो जाएंगे। पुलिस व प्रशासन भी हरकत में आ जाएगा। पहाड़ के अंदर अगर हलचल बहुत ज्यादा होगी तो लालबत्ती पूरी तरह से ऑन हो जाएगी और सायरन बज उठेंगे। आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग तुंरत सक्रिय होकर भूस्खलन वाले क्षेत्र में मशीनरी लेकर पहुंच जाएंगे।

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क्या है भूस्खलन :

भूस्खलन एक प्राकृतिक घटना है, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण चट्टानों, मिट्टी आदि के अपने स्थान से नीचे की ओर खिसकने के कारण घटित होती है। नदियों द्वारा किए जाने वाले कटाव से चट्टानें और लगातार बारिश के कारण मिट्टी की परत कमजोर हो जाती है। ऐसी आपदाएं आमतौर पर मानसून के दौरान (जून से सितंबर के बीच) आती हैं। पंडोह से औट तक के पहाड़ बिजली प्रोजेक्ट व सड़क निर्माण की वजह से पूरी तरह से हिल चुके हैं। बरसात के दौरान यहां अकसर भूस्खलन की घटनाएं पेश आती हैं। कोटरोपी में बीते वर्ष पहाड़ी दरकने से एचआरटीसी की दो बसें मलबे के नीचे दब गई थीं, जिसमें 47 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था।

------- भूस्खलन के लिहाज से मनाली-चंडीगढ़ व पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर दस स्थान अतिसंवेदनशील चिह्नित किए गए हैं। चिह्नित स्थानों पर सेंसर लगेंगे।

-ऋग्वेद ठाकुर, उपायुक्त, मंडी।

----- जिला प्रशासन के साथ मिलकर भूस्खलन वाले क्षेत्रों का निरीक्षण किया गया है। ऐसे स्थानों में जानमाल की हानि रोकने के लिए सेंसर, सायरन व लालबत्ती लगाने का निर्णय लिया गया है। सेंसर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, इससे समय रहते भूस्खलन की जानकारी मिलेगी।

-डॉ. वैंकट उदय, कला, सहायक प्रोफेसर, आइआइटी मंडी।


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