एक माह बाद देवालयों में लौटेंगे देवता
जागरण संवाददाता, मंडी : भादो के दौरान दैत्यों से युद्ध करने गए देवी-देवता सोमवार को अपने स्थान
जागरण संवाददाता, मंडी : भादो के दौरान दैत्यों से युद्ध करने गए देवी-देवता सोमवार को अपने स्थानों में आएंगे। अधिकांश देवालयों के कपाट आज खुलेंगे। देवी-देवता अपने गूर के माध्यम से दैत्यों के साथ हुए युद्ध का वृतांत सुनाएंगे। काले महीने के दौरान गांव के किस व्यक्ति पर बुरी शक्तियों का साया पड़ा हुआ है। देवता के माध्यम से गूर यह भी बताएंगे, इसके उपाय भी सुझाएंगे।
करीब एक माह मायके में रहने के बाद नव दुल्हनें भी आज ससुराल लौटेंगी। लोक परंपरा के अनुसार भादो महीने में नव विवाहिताएं शादी के पहले साल भादों माह में ससुराल में नहीं रहती। ऐसा माना जाता है कि भादो महीने नव दुल्हन सास का चेहरा नहीं देखती। किसानों की खुशहाली और समृद्धि का पर्व सोमवार को मंडी जिले में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।
कृषि और पशुधन की समृद्धि से जुड़े इस पर्व का किसानों की ¨जदगी में बड़ा महत्व है। सायर को किसान नए अनाज की पूजा कर अपने घर में खुशहाली का आह्वान करते हैं। वहीं पर यह पर्व पशुधन की खुशहाली से भी जुड़ा है। जिले का ख्योड़ नलवाड़ मेला आज के दिन ही शुरू होगा। बरसात के मौसम में किसानों की ओर से पाले गए बैलों की खरीद-फरोख्त के लिए ख्योड़ नलवाड़ मशहूर है। सायर का पर्व अनाज पूजा का त्योहार है। इस दौरान इस मौसम में पाए जाने वाले अनाज जैसे मक्की, धान, तिल, पेठा, गलगल, कोठा आदि की पूजा की जाती है। वहीं पर सायर में अखरोट का विशेष महत्व है। सायर के दिन गांव की चौपाल पर जहां बच्चे और जवान अखरोट खेलते हैं। वहीं पर अखरोट के साथ द्रूब देकर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि बरसात का मौसम सायर के बाद ख्त्म हो जाता है। इसके बाद सर्दियां दस्तक देने लगती हैं। सुबह शाम के मौसम में ठंडक आ जाती है। सायर के बाद ही मक्की निकालने, घास की कटाई और धान की कटाई भी शुरू हो जाती है।