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रिवालसर झील कैचमेंट एरिया में जलस्रोत होंगे रिचार्ज

झील के कैचमेंट एरिया में मृत पड़े प्राकृतिक जल स्त्रोतों को संजीवनी मिलेगी। गाद व मलबे की वजह से बंद हो चुके प्राकृतिक जल स्त्रोतों को वन विभाग रिचार्ज करेगा। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण किया जाएगा वहीं पर्यटकों की चहल पहल बढ़ाने के लिए रिवालसर झील के आस पास के क्षेत्र का सुंदरीकरण भी किया जाएगा। इसके लिए करीब उनतालीस लाख लाख रूपये खर्च किए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली अनेक सुंदर झीलों में रिवालसर झील अपना विशेष स्थान रखती है। घने वृक्षों तथा उंचे पहाड़ों से घिरी रिवालसर झील प्राकृतिक सुंदरता के आकर्षण का केंद्र है। मं

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 04:17 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 04:17 PM (IST)
रिवालसर झील कैचमेंट एरिया 
में जलस्रोत होंगे रिचार्ज
रिवालसर झील कैचमेंट एरिया में जलस्रोत होंगे रिचार्ज

संवाद सहयोगी, मंडी : ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व वाली रिवालसर झील के कैचमेंट एरिया में मृत पड़े प्राकृतिक जलस्रोतों को संजीवनी मिलेगी। गाद व मलबे की वजह से बंद हो चुके प्राकृतिक जलस्रोतों को वन विभाग रिचार्ज करेगा। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण किया जाएगा और रिवालसर झील के आसपास के क्षेत्र का सुंदरीकरण भी किया जाएगा। इसके लिए करीब उनतालीस लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।

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हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली अनेक सुंदर झीलों में रिवालसर झील अपना विशेष स्थान रखती है। घने वृक्षों तथा ऊंचे पहाड़ों से घिरी रिवालसर झील प्राकृतिक सुंदरता के आकर्षण का केंद्र है। मंडी से 24 किलोमीटर दूर तथा समुद्रतल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रिवालसर झील के किनारे विभिन्न धर्मो के कुछ पूजनीय स्थल हैं। मुख्य रूप से यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं। रिवालसर झील पर मिट्टी के टीले तैरते हुए देखे जा सकते हैं। जिन पर सरकंडों वाली ऊंची घास लगी होती है। टीलों के तैरने की अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया ने रिवालसर झील को सदियों से एक पवित्र झील का दर्जा दिया है। रिवालसर को बौद्ध गुरु एवं तांत्रिक पदमसंभव की साधना स्थली माना जाता है। रिवालसर झील के साथ लगते क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावना को देखते हुए वन विभाग इसके सुंदरीकरण पर 38.93 लाख रुपये खर्च करेगा। पौधरोपण के साथ साथ चैकडैम का निर्माण किया जाएगा। यहां आने वाले सैलानियों व श्रद्धालुओं को धूप व बारिश से बचाव के लिए गजीबो (रेन शैल्टर) का भी निर्माण किया जाएगा। उचित रखरखाव न होने से झील के आस पास के क्षेत्र में बिसरा दिए गए प्राकृतिक जलस्रोतों को संवार कर उनको दोबारा रिचार्ज किया जाएगा ताकि इनका पानी पीने योग्य बनाया जा सके।

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रिवालसर झील के कैंचमेंट एरिया के सुंदरीकरण के लिए भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। प्राकृतिक जलस्रोतों को संवारने के साथ-साथ श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए सुविधाएं जुटाई जाएगी।

-एसएस कश्यप, वन मंडलाधिकारी मंडी।


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