बरोट के आलू की अमृतसर में दस्तक
आशीष भोज पद्धर चौहारघाटी के बरोट के आलू ने अमृतसर की मंडियों में दस्तक दे दी है। चौह
आशीष भोज, पद्धर
चौहारघाटी के बरोट के आलू ने अमृतसर की मंडियों में दस्तक दे दी है। चौहारघाटी में आलू की फसल तैयार हो गई है। किसान आजकल आलू निकालने में मशगूल हैं। किसान जहां परिवार सहित दिनभर खेतों में पसीना बहा रहे हैं। वहीं व्यापारी भी खेतों में आलू की खरीदारी कर रहे हैं। कोरोना काल में किसानों को आलू के बढि़या दाम मिल रहा है। शुरुआती दौर में ही 20 से 22 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से आलू बिक रहा है।
बरोट, लपास, वरधाण, धमच्याण, लटराण, तरसवाण, सुधार, सिल्हबुधाणी, कथोग, रोपा और बल्ह पंचायत सहित झटिगरी और घोघरधार में टनों के हिसाब से आलू की पैदावार होती है। व्यापारी यहां का आलू अमृतसर की मंडी के साथ अंबाला और चंडीगढ़ भेजते थे। लेकिन इस बार कोरोना के खौफ के चलते आलू सीधा अमृतसर की मंडियों में जा रहा है। अमृतसर की मंडियों में यहां के आलू की सबसे अधिक मांग रहती है।
आलू की बिक्री के चलते ट्रक यूनियन पद्धर ने भी अब झटिगरी में काउंटर खोल दिया है। जहां से व्यापारियों को गाड़ियां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
किसान सीताराम, तुलसी राम, नंदलाल, हरि सिंह, नरेश कुमार, हीरालाल, पूर्ण चंद, राजू राम, हरि सिंह, लेखराम, ज्ञान चंद और रामशरण ने बताया कि मौसम अनुकूल रहने पर पैदावार भी अच्छी हुई है। खेत खाली होते ही राजमाह की खेती का काम शुरू हो जाएगा।
व्यापारी राम बहादुर, ओमप्रकाश, मोहन लाल, शेष राम, मिसु राम, अशोक कुमार, रोशन लाल और रति राम ने बताया कि अमृतसर में चौहारघाटी के आलू की सबसे ज्यादा मांग है। ऐसे में कोरोना के चलते आलू अमृतसर ही भेजा जा रहा है।
दुर्गम चौहारघाटी में पहले सड़क सुविधा का अभाव था। जिस कारण नकदी पैदावार की ढुलाई में किसानों को सबसे ज्यादा मार लगती थी। जिस वजह से अच्छा भाव भी नहीं मिलता था। भाव का आधे से ज्यादा खर्च ढुलाई में खर्च हो जाता था। लेकिन बीते एक दशक में गांव गांव सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं। बहुत कम गांव सड़क से महरूम रहे हैं।