कार्यकर्ताओं ने उठाई मांग, वीरभद्र को सौंपें चुनाव की कमान
मंडी संसदीय क्षेत्र का फीडबैक लेने पहुंची हिमाचल कांग्रेस प्रभारी को कार्यकताअों ने चेताया कि वीरभद्र सिंह की अनदेखी पार्टी को महंगी पड़ सकती है।
मंडी, हंसराज सैनी। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंडी संसदीय क्षेत्र का फीडबैक लेने पहुंची कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल के समक्ष कई वरिष्ठ नेताओं ने वीरभद्र राग अलापा। कार्यकर्ताओं ने मंच से चेताया कि वीरभद्र्र सिंह की अनदेखी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। कुछ लोग जिस तरह से उन्हें हाशिये पर धकेलने व बिना जनाधार वाले नेताओं को संगठन में तवज्जो दे रहे हैं, उसका खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। वीरभद्र दिग्गज नेता हैं व आज भी उनकी पूरे प्रदेश में गहरी पैठ है। उन्हें बैकफुट पर धकेलने के बजाय फ्रंटफुट पर लाना होगा।
सम्मेलन से वीरभद्र व उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने दूरी बनाए रखी। सम्मेलन बंद हाल में हुआ। इसमें कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ नेताओं ने एकदूसरे के विरुद्ध जमकर भड़ास निकाली। पूर्व मंत्री एक-दूसरे से उलझते नजर आए तो कार्यकर्ताओं ने भी पूर्व मंत्रियों को जमकर घेरा और पार्टी की हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ा। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि सत्ता के नशे में चूर मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं की एक नहीं सुनी। अगर कार्यकर्ताओं के काम किए होते तो पार्टी सत्ता से बाहर नहीं होती। विवाद बढ़ता देख रजनी पाटिल को बीच बचाव करना पड़ा। उन्होंने पार्टी नेता व कार्यकर्ताओं को सिर्फ एजेंडे पर बात करने की नसीहत दी।
चुनावी फीडबैक के लिए बुलाया गया सम्मेलन
एक-दूसरे को कोसने तक सिमट गया। पार्टी की गुटबाजी यहां खुलकर सामने आई। रजनी पाटिल के
संदेश से पहले आधे से ज्यादा कार्यकर्ता घर को चलते बने। मंडी संसदीय क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र्र सिंह की कर्मभूमि रही है। वह लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। पार्टी के दूसरे कद्दावर नेता पूर्व
स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर भी चुनाव न लड़ने की बात अनौपचारिक तौर पर कई बार कर चुके हैं। पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी दुविधा यही है कि मंडी के रण में किसे चुनावी मैदान में उतारा जाए। इस बार मंडी में राजनीतिक हालात बदले हुए हैं। मंडी मुख्यमंत्री का गृह जिला है। ऐसे में कांग्रेस नेता चुनावी दंगल में उतरने से कन्नी काट रहे हैं।