Move to Jagran APP

पॉलीथीन पर प्रतिबंध सख्ती से लागू करने की जरूरत

क पर लगाए गए प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाए तो ही हिमाचल को प्लास्टिक मुक्त किया जा सकता है। प्रदेश में अब भी बाहरी राज्यों से प्लास्टिक पहुंच रहा है। पॉलीथिन में जहां फल व सब्जियों का आयात हो रहा है वहीं अन्य कई प्रकार की सामग्री भी प्लास्टिक युक्त पैकेट में पहुंच ही है। प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से यहां प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। इससे पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है। प्रदेश सरकार ने हिमाचल में प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। इसका प्रयोग करने वालों के खिलाफ जुर्माने का भी

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 05:00 PM (IST)
पॉलीथीन पर प्रतिबंध सख्ती से लागू करने की जरूरत
पॉलीथीन पर प्रतिबंध सख्ती से लागू करने की जरूरत

संवाद सहयोगी, मंडी : पॉलीथीन, थर्मोकोल पर लगाए गए प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाए तो ही हिमाचल को प्लास्टिक कचरे से मुक्त किया जा सकता है। प्रदेश में अब भी अन्य राज्यों से प्लास्टिक कचरा पहुंच रहा है। पॉलीथीन में फल, सब्जी समेत अन्य कई प्रकार की सामग्री भी पॉलीथीन में पैक होकर हिमाचल पहुंच रही है। प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से यहां प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। इससे पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है। प्रदेश सरकार ने हिमाचल में पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसका प्रयोग करने वालों के खिलाफ जुर्माने का भी प्रावधान है, लेकिन इस कानून को सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा।

loksabha election banner

इंदिरा मार्केट मंडी में पॉलीथीन का प्रयोग न करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए 'दैनिक जागरण' के प्लास्टिक हटाओ पहाड़ बचाओ अभियान के तहत पैनल डिस्कशन में शहर के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने विचार साझा किए। इस दौरान वीसी वैद्य, सुनील कुमार, पवन दीक्षित, जितेंद्र वालिया व चमन शर्मा ने कहा कि अगर अन्य राज्यों से पॉलीथीन आना बंद हो जाएगा तो हिमाचल में प्लास्टिक कचरा भी नहीं होगा। इसके लिए सरकार को पॉलीथीन पर लगाए प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना होगा। प्रतिबंधित उत्पाद का इस्तेमाल करने वालों के चालान किए जाएं। ऐसा होने पर व्यापारी प्लास्टिक युक्त उत्पाद लाने से परहेज करेंगे और अपने आप यहां प्लास्टिक खत्म हो जाएगा।

---------------

पॉलीथीन कुछ वर्ष पूर्व ही अस्तित्व में आया है। जब यह नहीं था तब भी लोग आयात-निर्यात करते थे। उस जमाने में भी आयात निर्यात में किसी तरह की समस्या नहीं थी। इसलिए पॉलीथीन के इस्तेमाल पर पूर्णतया प्रतिबंध होना चाहिए। सरकार अन्य राज्यों से पॉलीथीन में सामान लाने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्ती से पेश आए और प्रदेश में इसका इस्तेमाल करने वालों के चालान किए जाएं। इससे प्रदेश में पॉलीथीन का चलन बंद हो जाएगा। इसके प्रयोग से प्रदेश में पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

-जितेंद्र वालिया, सेवानिवृत्त सहायक अभियंता बिजली बोर्ड।

------------

शहरों में प्लास्टिक कचरे के निष्पादन के लिए अलग से प्रावधान किया जाए। नगर निकायों में प्लास्टिक कचरे को उठाने के लिए शहर में कोई एक दिन तय कर लें। प्लास्टिक कचरा सिर्फ उसी दिन उठाया जाए। उसे घरों से निकलने वाले कचरे में मिक्स न किया जाए। नगर निकायों में मौजूदा समय में गीला व सूखा कचरा उठाने की अलग-अलग व्यवस्था है, लेकिन प्लास्टिक कचरा उठाने के लिए इस तरह की व्यवस्था नहीं है। प्लास्टिक कचरा गीले में भी व सूखे कूड़े में भी मिक्स हो जाता है। इसे अलग नहीं किया जा रहा। इससे इसका उचित ढंग से निष्पादन नहीं हो पा रहा है।

-पवन दीक्षित, सेवानिवृत्त अधिकारी।

---------

प्लास्टिक का उचित निष्पादन न होने के कारण शहर की गंदे पानी की निकासी नालियां बंद हो रही है। इससे नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है और वहां से लोगों के घरों में घुस रहा है। लोग प्लास्टिक कचरे को नालियों में फेंक देते हैं। प्लास्टिक कई साल तक न तो गलता और न ही सड़ता है। इस कारण अधिकतर नालियां बंद रहती हैं। नालियां बंद होने से शहर में बदबू फैल रही है और गंदे पानी के छीटें लोगों पर पड़ते हैं। नालियों में मक्खी मच्छर भिनभिनाते हैं। इससे बीमारियां फैलने का अंदेशा बना हुआ है। वहीं इससे शहर की सफाई व्यवस्था पर भी ग्रहण लग रहा है। प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध ही इसका स्थायी समाधान है।

-सुनील कुमार, सेवानिवृत्त अधीक्षक ग्रेड वन बिजली बोर्ड।

------------

पर्यावरण संरक्षण के लिए आज राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर इसके नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण सरकार की ढील है। सरकार ने एक तरफ प्रदेश में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं अन्य राज्यों से प्लास्टिक के आयात पर व्यापारियों को छूट भी दे रखी है। ऐसे में जागरूकता कार्यक्रमों का कोई लाभ नहीं होगा। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने से पहले सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को सख्ती से लागू करना होगा तभी धरातल पर इसके बेहतर नतीजे देखने को मिल सकते हैं। अगर हमें पर्यावरण को बचाना है तो सबसे पहले प्लास्टिक को खत्म करना होगा।

-वीसी वैद्य, सेवानिवृत्त सहायक अभियंता बिजली बोर्ड।

--------------

इस बार जितनी गर्मी महसूस की गई पूरे जीवन में शायद कभी नहीं हुई। जलवायु में परिवर्तन का मुख्य कारण पर्यावरण से छेड़छाड़ है। प्लास्टिक पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है। यह नदी-नालों में मिल रहा है जो कई साल तक सड़ता नहीं है। इससे पेयजल स्त्रोत बंद हो गए हैं। प्रदेश में अब भी रेडीमेड गारमेंटस पॉलीथीन पैक होकर आ रहा है। दुकानदार सामान बेचने के बाद दुकानों के आगे प्लास्टिक कचरे के ढेर लगा देते हैं। नगर परिषद भी प्लास्टिक को दूसरे कूड़े में समेट देती है। सरकार प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रही। यहां तक कि कई खाद्य वस्तुएं भी पॉलीथीन में आ रही हैं। इससे शरीर को भी नुकसान पहुंच रहा है।

-चमन लाल शर्मा, सेवानिवृत्त एसडीओ बिजली बोर्ड।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.