घोषणा से आगे नहीं बढ़ी चालकों को प्रशिक्षण की कवायद
जागरण संवाददाता मंडी निजी बसों के चालक परिचालकों को प्रशिक्षण देने की कवायद घोषणा से
जागरण संवाददाता, मंडी : निजी बसों के चालक, परिचालकों को प्रशिक्षण देने की कवायद घोषणा से आगे नहीं बढ़ पाई। सात साल बाद भी निजी बसों के बाहर चालक-परिचालक के न तो फोटो लगे और न ही पहचान पत्र। मृतकों की चिता की आग शांत होने के बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री जीएस बाली की यह घोषणा फाइलों में दफन होकर रह गई।
2015 में मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंडी शहर के साथ लगते बिद्रावणी में एक निजी बस के ब्यास नदी में गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई थी। कई लोग घायल हुए थे। घायलों का कुशलक्षेम जानने के बाद जीएस बाली ने निजी बस चालकों को हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के प्रशिक्षण स्कूलों में प्रशिक्षण देने की बात कही थी। प्रशिक्षण के अलावा बस के बाहर चालक व परिचालक का फोटो व पहचान पत्र लगाना अनिवार्य किया था, ताकि लोगों को इस बात का पता चल सके कि बस नियमित चालक चला रहा है या नहीं। एचआरटीसी व निजी क्षेत्र में अलग अलग मानक
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) व निजी क्षेत्र में बसों की उम्र को लेकर अलग-अलग मानक हैं। एचआरटीसी में नौ साल या फिर आठ लाख किलोमीटर के बाद बस को जीरो बुक वैल्यू घोषित कर दिया जाता है। अगर कोई बस अच्छी हालत में हो तो एचआरटीसी प्रबंधन उसका फिटनेस टेस्ट करवाने के बाद पासिग करवाता है। निजी बस के आपरेटर 15 से 20 साल पुरानी बसें भी चला रहे हैं।