Move to Jagran APP

जानमाल को नदी-नाले किनारे बने मकानों से ज्यादा मलबे से खतरा

हर क्षेत्र में पांच या 20 साल बाद मूसलधार बारिश होना प्राकृतिक घटना ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 04:01 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 04:01 AM (IST)
जानमाल को नदी-नाले किनारे बने मकानों से ज्यादा मलबे से खतरा

हंसराज सैनी, मंडी

loksabha election banner

हर क्षेत्र में पांच या 20 साल बाद मूसलधार बारिश होना प्राकृतिक घटना है। डाटा का अभाव व इसका अध्ययन न होना नुकसान का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। किसी भी सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठाए हैं। सरकार व प्रशासन को समय रहते इस पर ध्यान देना होगा अन्यथा भविष्य में भागसूनाग जैसे हादसों की पुनरावृत्ति होना तय है। नदी-नालों के किनारे बेरोकटोक नियमों को ताक पर रखकर बन रहे मकान तो खतरे की घंटी हैं ही, उससे ज्यादा खतरा अवैज्ञानिक तरीके से नदी-नालों में हो रहा अवैध खनन, पहाड़ों की कटिग, सड़क व गृह निर्माण से निकलने वाला मलबा बन चुका है।

मलबा डंपिग साइट में फेंकने के बजाय कंस्ट्रक्शन कंपनियां व लोग नदी-नालों के किनारे फेंक रहे हैं। इससे धीरे-धीरे नदी नालों की गहराई कम हो रही है और जलस्तर ऊपर आ रहा है। मूसलधार बारिश होने पर यह मलबा पानी के तेज बहाव के साथ बहकर कहर बरपा रहा है। इससे बचने के लिए प्रशासन को समय रहते उचित कदम उठाने चाहिए। मलबा नदी-नालों के किनारे फेंकने के बजाय डंपिग साइट में ठिकाने लगाना चाहिए लेकिन कहीं पर भी ऐसा नहीं हो रहा है। किसी भी क्षेत्र में बारिश या फिर प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित कोई डाटा किसी एजेंसी के पास उपलब्ध नहीं है। हर क्षेत्र में पांच साल बाद कोई न कोई प्राकृतिक घटना होती है। 20 साल बाद बड़ा हादसा होता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के सहायक प्रोफेसर डा. वैंकटा उदय कला का कहना है अगर डाटा का उचित अध्ययन हो तो समय रहते ऐसे हादसों में होने वाले जानमाल के नुकसान को रोका जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.