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मिड डे मील वर्कर्स लड़ेंगे आरपार की लड़ाई

वर्कर्स यूनियन अपने हक हकूक को लेकर अब आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। स्कूलों में दोपहर भोजन बनाने वाले कार्यकर्ता केंद्र सरकार द्वारा उनके मानदेय में बृद्धि न करने से खफा है। यूनियन ने 19 नवंबर को दिल्ली में संसद का घेराव करने का निर्णय लिया है। धर्मपुर से दिल्ली में होने वाले धरने की योजना बनाने के लिए रविवार 4 नवंबर को धर्मपुर में बैठक आयोजित कर रूपरेखा तैयार की जाएगी। सीटू से संबंधित मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के धर्मपुर खंड प्रधान ¨चत राम सदस्य सुनीता देवी,सरोजा देवी, सपना देवी, सत्या देवी, संतोष कुमारी, सरला देवी, नीता देवी, चंपा देवी, अंजना, संतोषी

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 04:58 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 04:58 PM (IST)
मिड डे मील वर्कर्स लड़ेंगे आरपार की लड़ाई
मिड डे मील वर्कर्स लड़ेंगे आरपार की लड़ाई

सहयोगी, धर्मपुर : श्रम संगठन सीटू से संबंधित मिड डे मील वर्कर्स यूनियन अब अपने हकों के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। स्कूलों में दोपहर भोजन बनाने वाले कार्यकर्ता केंद्र सरकार द्वारा उनके मानदेय में वृद्धि न करने से खफा है। यूनियन ने 19 नवंबर को दिल्ली में संसद का घेराव करने का निर्णय लिया है। दिल्ली में होने वाले धरने के लिए चार नवंबर को धर्मपुर में बैठक आयोजित कर रणनीति बनाई जाएगी।

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सीटू से संबंधित मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के धर्मपुर खंड प्रधान ¨चत राम सदस्य सुनीता देवी, सरोजा देवी, सपना देवी, सत्या देवी, संतोष कुमारी, सरला देवी, नीता देवी, चंपा देवी, अंजना, संतोषी, नीता शर्मा, प्रोमिला, सुषमा, गौरी, रजनी, अरुणा, भावना दीपा, विना, कांता प्रशाद, सत्या, शोमा, पुष्पा देवी आदि ने बताया कि मोदी सरकार ने अभी तक उनके मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की है। केंद्र सरकार उन्हें मात्र 1100 रुपये मासिक मानदेय देती है। जो मात्र 33 रुपये दिहाड़ी बनती है जिससे कोई भी वर्कर अपना व अपने परिवार का गुजारा नहीं कर सकता है। इस योजना को शुरू हुए 14 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने वर्कर्स को नियमित करने के लिए कोई नीति अभी तक नहीं बनाई है। उन्हें साल में बारह की बजाय दस माह का ही मानदेय दिया जाता है और किसी प्रकार का अवकाश भी नहीं मिलता है। मिड डे मील में अधिकतर गरीब व महिलाएं काम करती हैं लेकिन उन्हें प्रसुता होने पर भी अवकाश नहीं दिया जाता है। चौदह वर्ष तक काम करने के बाद पच्चीस बच्चों की शर्त लगा कर उनकी छंटनी भी की जा रही है जबकि स्कूल में चार पांच बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों की सख्या तीन से ज्यादा है। इसलिए यूनियन ने 19 नवंबर को दिल्ली में संसद का घेराव करने का निर्णय लिया है। धर्मपुर से दिल्ली में होने वाले धरने की योजना बनाने के लिए रविवार 4 नवंबर को धर्मपुर में बैठक आयोजित की जाएगी। केंद्र सरकार स्कीम वर्कर्स को अभी तक स्वयंसेवी ही कहा जाता है और इन्हें मजदूर का दर्जा भी नहीं दिया गया है। जबकि इस बारे वर्ष 2013 के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित सभी राष्ट्रीय श्रम सम्मेलनों में प्रस्ताव पारित किए गए हैं। लेकिन न तो पूर्व कांग्रेस व न ही वर्तमान मोदी सरकार इनको मजदूर का दर्जा दे रही है।


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