कोटरोपी से भलाना तक नम पड़ी पहाड़ी, 24 पेड़ गिरे
कोटरोपी से भलाना तक मूसलधार बारिश और भूस्खलन की वजह से 24 से अधिक पेड़ ढह चुके हैं।
पद्धर, आशीष भोज। मूसलधार बारिश से कोटरोपी से भलाना तक 24 से अधिक पेड़ ढह गए हैं, जो खतरे के संकेत हैं। भले ही इस बार मानसून समाप्ति की ओर है, लेकिन प्रशासन की थोड़ी की चूक किसी भी खतरे को न्योता दे सकती है। कोटरोपी से भलाना तक की पूरी पहाड़ी जहां तीन-चार साल से लगातार दरक रही है। अब बरसात में पूरी तरह तर होने से दलदल बन गई है। यहां बारिश ही नहीं साफ मौसम में भी भूस्खलन की आशंका बनी हुई है। यहां पहाड़ी से नीचे की ओर नम हुई जमीन और झुके हुए पेड़ आपदा को लेकर सचेत कर रहे हैं।
बीते दिन कसयान नाला के पास पहाड़ी से भूस्खलन होने से वन संपदा का खासा नुकसान हुआ था। वहीं मूसलधार बारिश से कोटरोपी से भलाना तक चार किलोमीटर के क्षेत्र में दस जगह भूस्खलन हुआ। कोटरोपी के समीप लगते चमड़ा मोड़ के पास भूस्खलन के साथ कई चीड़ के पेड़ ढह गए। इसके सौ मीटर की दूरी में पहाड़ी से भूस्खलन के साथ तीन चीड़ के पेड़ और भारी भरकम मलबा सड़क पर आ गया। उरला के पास दो जगह भूस्खलन हुआ। करीब दो सौ मीटर पीछे की ओर भी भूस्खलन से शीशम और चीड़ के पेड़ ढहे। उरला के साथ लगती पहाड़ी में भूस्खलन होने से पेयजल भंडारण टैंक भी खतरे की जद में आ गया है।
भूस्खलन से पेयजल पाइप लाइन टूटने से जहां ग्रामीणों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ा। उधर, मार्ग में हियुनगलू और भलाना के पास भी करीब छह चीड़ के पेड़ ढेर हो गए। तलगहर गांव के ऊपर दरकी पहाड़ी का मलबा फिर गांव तक पहुंच गया। इससे एनएच यातायात के लिए प्रभावित हुआ। भलाना में दोहरी गली के पास पहाड़ी से पत्थर और मलबा सड़क तक पहुंचा। लगातार दरक रही पहाड़ी कभी भी बड़ी घटना को न्योता दे सकती है। स्थानीय लोगों की माने तो गुम्मा नमक खान की टनल में अवैज्ञानिक ढंग से पहाड़ी का दोहन किया गया है। इस कारण यहां जगह-जगह पहाड़ी दरकने से भूस्खलन हो रहा है। भू वैज्ञानिकों का तर्क है कि पहाड़ी में कमजोर पत्थर मिट्टी में पिघल रहे हैं। इस कारण पहाड़ी दरक रही है।
कोटरोपी से लेकर भलाना तक दरकती पहाड़ी को लेकर प्रशासन पूरी तरह संजीदा है। यहां तालगहर गांव के ऊपर पहाड़ी दरकने की पहली बार घटना हुई है। ग्रामीणों की सुरक्षा और रहने के लिए सभी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। खराब मौसम में एहतियात बरतें।
-डॉ. आशीष शर्मा, एसडीएम, पद्धर।