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काफल बना आर्थिकी का सहारा

कोरोना के बीच जंगली फल काफल गरीब परिवारों की आर्थिकी का सहारा बन गया है। भले ही गरीब परिवारों को अन्न उपलब्ध करवाने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। परंतु परिवार की अन्य मूलभूत सुविधाओं का जुगाड़ करना गरीब परिवारों के लिए किसी पहाड़ को चढ़ने से कम नहीं है। जोगेंद्रनगर में किसी का मछली तो किसी का दिहाड़ी और मजदूरी कर परिवार चलता है। शहर में काफल बेच रहे हराबाग गांव के बीपीएल परिवार में शामिल अजय कुमार ने बताया कि वह दिहाड़ी-मजदूरी कर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते हैं। मई व जून के दौरान काफल बेच कर अपनी आर्थिकी को सु²ढ़ करने का प्रयास कर रहे हैं। उन पर परिवार

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 04:41 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:20 AM (IST)
काफल बना आर्थिकी का सहारा

संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : कोरोना के बीच जंगली फल काफल गरीब परिवारों की आर्थिकी का सहारा बन गया है। भले ही गरीब परिवारों को अन्न उपलब्ध करवाने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। परंतु परिवार की अन्य मूलभूत सुविधाओं का जुगाड़ करना किसी पहाड़ को चढ़ने से कम नहीं है। जोगेंद्रनगर में किसी का मछली तो किसी का दिहाड़ी और मजदूरी कर परिवार चलता है। शहर में काफल बेच रहे हराबाग गांव के बीपीएल परिवार में शामिल अजय कुमार ने बताया कि वह दिहाड़ी-मजदूरी कर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते हैं। मई व जून के दौरान काफल बेच कर आर्थिकी को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रहे हैं। उन पर परिवार के पांच लोगों की जिम्मेवारी है। वह 10 साल से काफल बेच रहे हैं। प्रतिदिन औसतन 500 से 700 रुपये तक का काफल बिक जाता है। इसी तरह नेरी के कोटला निवासी गंगा राम ने बताया कि वह मछली बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। परंतु मई व जून के दौरान काफल उनकी आर्थिकी में मददगार साबित होता है। वह लगभग 55 साल से काफल बेच रहे हैं। कोरोना के दौर में परिवार का भरण-पोषण एक बड़ी चुनौती बन गया है। पिछले एक सप्ताह से काफल बेचकर वे परिवार की गाड़ी को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

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उधर, नारला गांव में फलों की रेहड़ी लगाकर जीवन की गुजर-बसर कर रहे बीपीएल परिवार में शामिल प्रदीप कुमार का कहना है कि क‌र्फ्यू के कारण उनका रेहड़ी का काम ठप होकर रह गया है। एक सप्ताह से जोगेंद्रनगर पहुंचकर काफल बेचने का काम कर रहे हैं। इससे उन्हें औसतन 600 रुपये तक की आमदन हो रही है।

आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि काफल विशेष क्षेत्र में ही पाया जाता है। मई व जून में तैयार होने वाला फल खाने में न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि कई बीमारियों में रामबाण का काम करता है।


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