जोगेंद्रनगर अस्पताल में बिना चालक एंबुलेंस बनी शोपीस
सिविल अस्पताल जोगेंद्रनगर में करीब ढाई साल से तीन चालकों के पद रिक्
राजेश शर्मा, जोगेंद्रनगर
सिविल अस्पताल जोगेंद्रनगर में करीब ढाई साल से तीन चालकों के पद रिक्त होने का असर रोगी कल्याण समिति के खजाने पर भी पड़ना शुरू हो गया है। अस्पताल की एंबुलेंस इस्तेमाल में नहीं लाने की सूरत में निजी वाहन के इस्तेमाल पर लाखों रुपये खर्च हो गए। अस्पताल में सांसद निधि से अस्पताल को मिली एंबुलेंस बिना चालक के शोपीस बनकर रह गई है।
एक साल में ही तीन से चार लाख रुपये निजी वाहन के इस्तेमाल पर खर्च हो गए। इसमें अधिकतर भुगतान रोगी कल्याण समिति को करना पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अभी भी लाखों रुपये की अदायगी लंबित है, जबकि अस्पताल का खजाना खाली हो चुका है।
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2000 से 2500 तक भी करना पड़ा प्रतिदिन भुगतान
कोविड के आरटीपीसीआर सैंपल के परीक्षण के लिए जोगेंद्रनगर से नेरचौक मेडिकल अस्पताल वाहन दौड़ाने पर बीते एक साल में 2000 से 2500 रुपये तक भुगतान करना पड़ा। वर्तमान में 1200 से अधिक राशि प्रतिदिन निजी वाहन के इस्तेमाल के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। अस्पताल के खजाने से दो लाख से अधिक का भुगतान कर भी दिया गया है जबकि लाखों रुपये की अदायगी अभी भी लंबित है।
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अस्पताल में 30 माह से रिक्त चल रहे तीन चालकों के पद
उपमंडलीय अस्पताल में 30 माह से तीन चालकों के पद रिक्त चल रहे हैं। बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखित अवगत करवाने के बाद भी भर्ती नहीं हो पाई है। मरीज भी चालकों के रिक्त पदों का खामियाजा भुगत रहे हैं।
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अस्पताल में सांसद निधि से मिली एंबुलेंस को बिना चालक के इस्तेमाल में नहीं लाया जा सका है। इसलिए मजबूरन अस्पताल प्रबंधन को आरटीपीसीआर कोविड टेस्ट के परीक्षण के लिए निजी वाहन को इस्तेमाल में लाना पड़ रहा है। चालकों के पदों की भर्ती के लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
-डा. रोशन लाल कौंडल, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी, नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर