International Women's Day 2019: कंचन ने ऊन से बुना हुनर
मंडी की बेटी कंचन वैद्य ने अपने बलबूते हस्तनिर्मित ऊनी कपड़ों को दुनियाभर में पहचान दिलाकर नाम कमाया है कंचन ने चार करोड़ रुपये से अधिक सालाना टर्नओवर की कंपनी बनाकर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं।
मंडी, हंसराज सैनी। आजकल अधिकतर लोग ब्रांडेड कपड़े पहनना शान समझते हैं। हस्तनिर्मित कपड़ों से कई लोगों ने किनारा कर रखा है। वहीं, प्रतिस्पर्धा के इस दौर में छोटी काशी मंडी की बेटी कंचन वैद्य ने अपने बलबूते बच्चों के लिए हस्तनिर्मित ऊनी कपड़ों को दुनियाभर में पहचान दिलाकर नाम कमाया है। कंचन चार साल में चार करोड़ रुपये से अधिक सालाना टर्नओवर की कंपनी बनाकर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। उन्होंने द ओरिजिनल निट ब्रांड नामक बच्चों के कपड़े बाजार में उपलब्ध करवाए।
आज इस ब्रांड के कपड़े कई देशों में धूम मचा रहे हैं। ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, द ओरिजिनल निट ब्रांड की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। कंचन ने कई राज्यों की सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी संवार कर उनकी तकदीर भी बदली है। महिलाओं का हुनर कपड़ों में निखर कर सामने आ रहा है। महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार ढूंढने की चिंता नहीं है। घर बैठे उनके उत्पाद बिक रहे हैं।
करियर के लिए घर छोड़ा, सफल उद्यमी बनीं
अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई नामी कंपनियों में कार्मिक विभाग में 12 साल तक प्रबंधक की नौकरी करने वाली कंचन सफल उद्यमी बन गई हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में सर्दियों में बेटे को जन्म दिया। वह एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी में कार्मिक विभाग में प्रबंधक थीं। गुरुग्राम जैसे शहर में बच्चों के लिए गर्म कपड़े तलाशना आसान नहीं था। हाथ से बुने ब्रांडेड ऊनी कपड़े ऑनलाइन उपलब्ध नहीं थे। उन्होंने महसूस किया कि कई और महिलाओं को इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ माह बाद अपने घर मंडी आईं तो महिलाओं को हाथ से बच्चों के गर्म ऊनी कपड़े बुनते देखा। यहीं से उद्यमशीलता की राह पर चलने का फैसला लिया। कॉरपोरेट करियर के लिए पहले घर छोड़ने वाली कंचन ने द ओरिजिनल निट स्टार्टअप शुरू किया। उन्होंने शिशुओं व बच्चों के लिए हस्तनिर्मित ऊनी कपड़े बेचने शुरू किए। कंचन वैद्य ने बताया कि उत्पादों को गुरुग्राम में एकत्रित किया जाता है। वहां गुणवत्ता की जांच के बाद उत्पाद को पैक कर ऑनलाइन व ऑफलाइन रिटेलर्स के पास भेज दिया जाता है।
स्वयं सहायता समूह जोड़े
कंचन ने आकर्षक उत्पादों को बाजार में उतारने के अलावा ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका का सहारा बनने का फैसला लिया। उन्होंने हिमाचल के अंदरूनी हिस्सों में गांवों की एक माह तक यात्रा की। उन्होंने देखा कि ग्रामीण महिलाएं कैसे इस काम में हाथ मिला सकती हैं। वह 10 महिलाओं को अपने साथ लाने में कामयाब रहीं। उन्हें सुई सेट व ऊन उपलब्ध करवाई। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को अपने साथ जोड़ा।