दवा निर्माण में आएगी तेजी, प्रदूषण भी होगा कम
जागरण संवाददाता मंडी आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मंडी ने ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्र
जागरण संवाददाता, मंडी : आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मंडी ने ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड (जीसीएन) कैटालिस्ट (उत्प्रेरक) तैयार किया है। इससे दवा, कास्मेटिक और कृषि उद्योगों उत्पाद निर्माण में तेजी आएगी। उद्योगों में समय और ऊर्जा की खपत कम होगी, प्रदूषण भी कम होगा। जीसीएन कैटालिस्ट को संस्थान के वैज्ञानिक डा. वेंकेट कृष्णन व उनकी टीम ने तैयार किया है।
संस्थान के स्कूल आफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर वेंकेट कृष्णन के नेतृत्व में पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित उत्प्रेरक विकसित कर रहे हैं। टीम में प्रियंका चौधरी, डा. आशीष बहुगुणा और अजय कुमार व आइआइटी रोपड़ में रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर सीएम नागराजा और संदीप सिंह धनखड़ शामिल हैं।
डा. कृष्णन बताते हैं कि हाइड्रोजनीकरण के कैटालिस्ट विशेष रसायन हैं, जो सस्ते और गैर खतरनाक हाइड्रोजन डोनर से इसके सब्सट्रेट पर स्थानांतरण में मदद करते हैं, जिन्हें लक्षित उत्पाद में बदला जा सकता है। हाइड्रोजनीकरण की प्रतिक्रियाओं में बतौर कैटालिस्ट रोडियम, इरीडियम, प्लैटिनम और रूथेनियम जैसी कीमती धातुएं इस्तेमाल की जाती हैं। इससे जहां खर्च बढ़ता है, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान होता है। ये धातु दोबारा प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि टीम ने हाइड्रोजन स्थानांतरण प्रतिक्रियाओं (हाइड्रोजन ट्रांसफर रिएक्शन) का विश्लेषण किया है। इसमें हाइड्रोजन डोनर और विलायक दोनों के रूप में 2-प्रोपेनॉल का इस्तेमाल किया गया। नैनोशीट की उत्पादन क्षमता और टर्नओवर की संख्या भी अधिक थी, जो कैटालिस्ट की क्षमताओं का प्रदर्शन है। हमारे कैटालिस्ट का अतिरिक्त लाभ यह है कि यह आसानी से वापस प्राप्त किया जा सकता है और उत्प्रेरक प्रक्रिया में किसी भी कमी के बिना कई बार उपयोग किया जा सकता है।
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ऐसे किया शोध
जीसीएन नैनोशीट के रासायनिक आक्सीकरण से हेटरोजीनस कैटालिस्टों की सिंथेसिस (संश्लेषण) की गई। इसके परिणामस्वरूप जीसीएन की सतह पर जल प्रिय (हाइड्रोफिलिक) कार्बोक्सिल, हाइड्राक्सिल और कीटोनिक ग्रुप उत्पन्न होते हैं। ये हाइड्रोफिलिक ग्रुप हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के लिए सक्रिय प्रतिक्रिया के केंद्र बन जाते हैं। नैनोशीट सामग्री की छोटी शीट है, जो इंसान के एक बाल से सौ हजार गुना बारीक हैं। इस पैमाने पर सतह का क्षेत्र, जिस पर प्रतिक्रिया होगी, बड़ा हो जाता है। नैनो डाइमेंशन के अतिरिक्त आक्सीकृत नैनो शीट की सतह पर मौजूद फंक्शनल ग्रुप हाइड्रोजन स्थानांतरण प्रतिक्रियाओं की बेहतरीन जगह बनती दिखी।