आइआइटी विशेषज्ञों ने किसानों को दी ये खास सलाह, कहा अब इन पौधों की करो खेती
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के विशेषज्ञ अब किसानों को बुरांस तुलसी व पुदीने की खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे उनका कहना है कि इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।
मंडी, हंसराज सैनी। औषधीय गुणों वाले बुरांस, पुदीना और तुलसी अब किसानों का जीवन महकाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के विशेषज्ञों की मदद से ऐसा संभव हो सकेगा।आइआइटी के विशेषज्ञ इनके उत्पादों की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग में मदद करेंगे, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे। बुरांस, तुलसी व पुदीने की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। बदलते दौर में किसानों को जड़ों से जोड़े रखने के लिए आइआइटी के विशेषज्ञों ने किसानों को बुरांस, तुलसी व पुदीने के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। बुरांस के फूलों से जूस, अचार जैम व अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। पुदीना व तुलसी भी औषधीय गुणों की खान माने जाते हैं।
1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर बुरांस के फूल
बुरांस (रोडोडेंड्रॉन) के फूल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। मार्च के मध्य में फूल खिलने लगते हैं। बुरांस के फूल औषधीय गुणों के कारण प्रसिद्ध हैं। देश में बुरांस के फूलों की कुल 87 प्रजातियां हैं। 12 प्रजातियां हिमाचल व उत्तराखंड में पाई जाती हैं।
पूजनीय तुलसी बड़े काम की
लक्ष्मी स्वरूप मानी जाने वाली तुलसी की स्थापना घरों के आंगन में की जाती है। इसके पत्ते ऐसी औषधि हैं, जो ज्यादातर बीमारियों में काम आते हैं। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खांसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोगों में फायदेमंद माना जाता है।
फूल की खासियत
फूल में पाया जाने वाला पॉलीफैटी एसिड शरीर में कोलेस्ट्रोल नहीं बनने देता है। बुरांस का शर्बत हृदय रोगियों के लिए रामबाण है। इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। फूलों में क्यारेसिटीन व काउमेरिक एसिड पाए जाते हैंं। आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं में भी बुरांस प्रयोग होता है। कई बीमारियों के लिए रामबाण बुरांस के फूलों का प्रयोग खांसी, तेज बुखार, गठिया, फेफड़ों संबंधी रोगों, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों, हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए किया जाता है।
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पुदीना गुणों की खान
पुदीना (मेंथा) औषधीय जड़ी-बूटी है। पाचन तंत्र में सुधार, वजन घटाने, डिप्रेशन, थकान और सिरदर्द आदि में इसके पत्तों के सेवन से आराम मिलता है। चटनी में भी इसका इस्तेमाल होता है। हिमालय क्षेत्र में औषधीय पौधों के उत्पादन की अपार संभावना है। बुरांस के उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। आइआइटी किसानों को बुरांस से बनने वाले उत्पादों की प्रोसेसिंग व पैकेट में मदद करेगी। इसका पूरा खाका तैयार
कर लिया गया है। पुदीना व तुलसी की खेती को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।
-प्रो. टिमोथी ए गोंजाल्विस, निदेशक आइआइटी मंडी
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