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सहकारी सभाओं को खत्म करने का हो रहा प्रयास : शेर सिंह

जागरण संवाददाता मंडी प्रदेश के 12 लाख लोगों को अपने साथ लेकर चलने वाली सहकारी सभाओं को

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:38 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 11:38 PM (IST)
सहकारी सभाओं को खत्म करने का हो रहा प्रयास : शेर सिंह
सहकारी सभाओं को खत्म करने का हो रहा प्रयास : शेर सिंह

जागरण संवाददाता, मंडी : प्रदेश के 12 लाख लोगों को अपने साथ लेकर चलने वाली सहकारी सभाओं को गलत नियमों के माध्यम से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिमाचल सहकारिता उत्थान संगठन सरकार के समक्ष मामला उठाएगा। मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन किया जाएगा।

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मंडी में मंगलवार को सहकारी सभाओं की राज्यस्तरीय बैठक में प्रदेशाध्यक्ष शेर सिंह ने कहा कि सहकारी सभाओं में ऐसे पदाधिकारी बैठ गए हैं, जिनको जानकारी ही नहीं है। अब लोगों को पैसा जमा करवाने पर सदस्यता लेनी होगी जो सीधेतौर पर पैसे का दुरुपयोग होगा। सरकारों ने सहकारिता के क्षेत्र को उपेक्षित किया है। नीतिया अवश्य बनाती है, परंतु अधिकारी जानबूझ कर उनको जनता तक पहुंचाने मे रोड़ा अटकाते हैं। इस तरह की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई, परंतु संगठित न होने के कारण आवाजों को दबा दिया जाता रहा है। अब हिमाचल सहकारिता उत्थान संघ आवाज बुलंद करेगा और मांगें न माने जाने पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। बैठक में 120 सदस्यों ने भाग लिया।

शेर सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान चलाएंगे और जल्द कार्यकारिणी का गठन होगा। अगले सप्ताह सरकार के समक्ष मामला रखा जाएगा। सम्मेलन में उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह राजपूत, कुलदीप ठाकुर, महासचिव बलवंत ठाकुर, नंदलाल ठाकुर, संजय शर्मा सचिव उपस्थित रहे।

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ये मामले उठाए

-प्रदेश सरकार ने पूर्व में विभिन्न कारपोरेशन खड़े किए और सहकारी सभाएं घाटे में हैं। इसलिए इन तमाम कारपोरेशन को तुरंत बंद किया जाए।

-सहकारी सभाओं के सेल्समैन को 3000 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, जबकि कारपोरेशन के सेल्समैन को 30,000 रुपये यह शोषण तुरंत बंद हो।

-न्यूनतम वेतन की पालिसी लागू हो।

-सहकारी सभाओं में प्रशिक्षण की व्यवस्था हो।

-चहेतों की भर्ती व मनोनयन तुरंत बंद हो। केवल एक्ट के तहत ही हो।

-आडिट में लगने वाला 18 फीसद जीएसटी माफ किया जाए।

-किसी भी विवाद के निपटारे के लिए प्राधिकरण का गठन किया जाए।

-बैंकों से 11 प्रतिशत ब्याज पर ऋण, टीडीएस व परिवार के हर सदस्य का केवाईसी जैसे नियमों को बंद किया जाए।


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