सुंदरनगर की सुंदरता पर कूड़े का ग्रहण
संवाद सहयोगी सुंदरनगर नगर परिषद सुंदरनगर का शहर को साफ-सुथरा रखने का अभियान क
संवाद सहयोगी, सुंदरनगर : नगर परिषद सुंदरनगर का शहर को साफ-सुथरा रखने का अभियान कचरे के ढेर में दबकर रह गया है। नगर परिषद के प्रयासों के बावजूद वार्डों में जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर सफाई व्यवस्था के दावों की पोल खोलते नजर आते हैं। अब नगर निकाय में चुनाव में सफाई व्यवस्था बेहाल होना बड़ा मद्दा बन गया है।
नगर परिषद द्वारा सफाई व्यवस्था पर सालाना एक करोड़ रुपये की खर्च किया जाता है। प्रत्येक दिन डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन योजना के तहत कूड़ा वाहन हर घर तक पहुंचता है। जहां से कर्मचारी कूड़ा एकत्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त शहर के 13 वार्डों के लिए 40 विभिन्न स्थानों पर 80 भूमिगत कूड़ादान स्थापित किए गए हैं, लेकिन लापरवाह अधिकांश लोग न तो कूड़ा वाहन में ही कूड़ा डालते हैं और न ही भूमिगत कूड़ेदान के अंदर। घर-घर से कूड़ा उठाने के बावजूद लोग भूमिगत कूड़ादानों के बाहर कूड़ा फेंक देते हैं। बंदर व बेसहारा पशु इसे बिखेर देते हैं।
सुंदरनगर नगर परिषद सफाई व्यवस्था पर सालाना करीब 1 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें से करीब 70 लाख रुपये डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन और वार्डो के रास्तों, नालियों और सफाई से जुड़े अन्य कार्यों में खर्च होते हैं। इसके अतिरिक्त सफाई व्यवस्था के काम में लगी कंपनी को भूमिगत कूड़ादानों, कूड़ादानों को उठाने में लगे विशेष वाहन की मरम्मत, ऑपरेटिग और उसकी मेंटेनेंस पर 21.60 के करीब राशि खर्च होती है। जबकि सफाई से जुड़े अन्य कार्यो के लिए भी राशि खर्च होती है।
----------
भूमिगत कूड़ादान बन रहे सफाई व्यवस्था में रोड़ा
बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि यदि शहर को कूड़ामुक्त करना है तो वार्डों में लगे भूमिगत कूड़ादानों को हटा देना चाहिए। यही कूड़ादान सफाई व्यवस्था में रोड़ा बने हैं। वार्ड चार निवासी नरेश शर्मा, वार्ड दो के नरेंद्र सोनी, वार्ड आठ के विक्की कुमार और वार्ड पांच के भगत राम ने बताया कि न ही यह कूड़ादान रहेंगे और न ही लोग बाहर कूड़ा फेंक पाएंगे। ऐसे में इन्हें हटाना ही सही विकल्प है।
------------
नगर परिषद सुंदरनगर शहर में सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लोगों को भी बराबर सहयोग देना चाहिए।
-उर्वशी वालिया, कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद सुंदरनगर।