विकास के साथ हरियाली का भी ख्याल
मंडी जिले ने विकास के साथ-साथ हरियाली का भी ख्याल रखा। दो साल में जिले में वन क्षेत्र बढ़ा है।
मुकेश मेहरा, मंडी
मंडी जिले ने विकास के साथ-साथ हरियाली का भी ख्याल रखा। दो साल में जिले में वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है। लगातार चल रहे पौधारोपण कार्यक्रमों से यह संभव हो पाया है। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 3950 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 44.58 प्रतिशत क्षेत्र वन हैं। हाल ही में आई फॉरेस्ट सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (एफसीआइ) की रिपोर्ट में भी मंडी जिले का वन क्षेत्र 12.02 वर्ग किलोमीटर बढ़ा हुआ दिखाया गया है। इस बार भी गत वर्ष के मुकाबले 12000 हेक्टेयर अधिक पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि पीपल व नीम आदि के पौधे विभाग नहीं रोप रहा है।
जिले में पंडोह से औट तक चल रहे फोरलेन के काम और कांगणीधार, गंदर्भ वन, ढांगसीधार वाले क्षेत्र में हेलीपैड व सड़क आदि के निर्माण के कारण पेड़ कटान हुआ है। हालांकि पर्यावरणविदों की मानें तो यहां पर उस स्तर पर पौधारोपण नहीं हो पाया है। पहले हुए पौधारोपण के कारण स्थिति को संतोषजनक माना है। इस बार आई एफसीआइ की रिपोर्ट में 368.51 वर्ग किलोमीटर घने जंगल, 756.98 वर्ग किलोमीटर कम घने और खुले जंगल 647.53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है यानी कुल 1773.02 वर्ग किलोमीटर एरिया बताया गया है। इसमें 12.02 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी है। यह बढ़ोतरी कम घने जंगलों में हुई है। 2017 की रिपोर्ट के मुकाबले यह 34 वर्गमीटर अधिक हैं, जबकि अधिक घने जंगलों में बदलाव नहीं आया है। हालांकि पर्यावरण प्रेमियों के मुताबिक फोरलेन और अन्य कार्यों के कारण पेड़ों का कटान हुआ है साथ ही गांव में जिन लोगों के पास अधिकार हैं वह भी कटान करते हैं। इसके बावजूद अगर बदलाव दर्ज हो रहा है तो यह अच्छे संकेत हैं। वन विभाग बड़े स्तर पर अभियान तो चलाता है, लेकिन वह औषधीय पौधों को अधिक तरजीह दे रहा है।
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जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में पेड़ों के प्रति लगाव है। पीपल के पेड़ के प्रति लोगों में आस्था रहती है। यही नहीं अन्य पेड़ों को लगाने व इनके बचाव में भी ग्रामीण आगे रहते हैं। गत वर्ष जो पौधारोपण हुआ था, उसमें कई लोगों ने अपना सहयोग दिया था।
-राजेंद्र मोहन, पर्यावरण प्रेमी।
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कांगणीधार, गंदर्भ वन और ढांगसीधार में बन रही सड़कों के कारण पेड़ कटान हुआ है, लेकिन यहां पर उस स्तर पर पौधारोपण देखने को नहीं मिला है। पीपल, नीम आदि के पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं। चीड़ के जंगल ही इस क्षेत्र में अधिक हैं।
-राजेंद्र सैनी, पर्यावरण प्रेमी।
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वन विभाग हर साल लोगों के सहयोग से पौधारोपण अभियान चलाता है। अब छोटे पौधे नहीं लगाए जाते हैं तो इनकी जीवित प्रतिशतता भी अधिक रहती है। जिला का वन क्षेत्र लगातारर बढ़ रहा है।
-एसएस कश्यप, डीएफओ वन विभाग मंडी।