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सब स्टेशन के उपकरण फेल, पांच घंटे बिजली बंद

विद्युत बोर्ड की जोगेंद्रनगर स्थित 66 मेगावाट पन विद्युत बस्सी परियोजना के सब स्टेशन के उपकरण अचानक फेल होने से जोगेंद्रनगर में पांच घंटे विद्युत आपूर्ति ठप रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 04:55 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 04:55 PM (IST)
सब स्टेशन के उपकरण फेल, पांच घंटे बिजली बंद

संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : विद्युत बोर्ड की जोगेंद्रनगर स्थित 66 मेगावाट पन विद्युत बस्सी परियोजना के 132/33 केवी सब स्टेशन के उपकरण अचानक फेल होने से करीब पांच घंटे तक जोगेंद्रनगर क्षेत्र बिजली से कटा रहा। इस कारण हजारों उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ी। जोगेंद्रनगर अस्पताल में बिजली बंद होने से पर्ची कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी कतारें लग गई। अस्पताल में मरीजों के टेस्ट व एक्सरे भी नहीं हुए। उपमंडल का आधा क्षेत्र बिजली से कटने के कारण कामकाज भी प्रभावित हुआ। शैक्षणिक संस्थानों में मोबाइल फोन की रोशनी से पढ़ाई हुई।

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बुधवार सुबह करीब 5.25 बजे बस्सी परियोजना के 33 केवी सब स्टेशन के 16 एमबीए के ट्रांसफार्मर के ब्रेकर में तकनीकी खराबी आ गई। इससे 11 किलोवाट हाई वोल्टेज की तारों से दी जाने वाली बिजली की सप्लाई ठप हो गई। इसे बहाल करने के लिए बस्सी परियोजना के इंजीनियर, कर्मचारी रेजिडेंट इंजीनियर अरुण धीमान की मौजूदगी में जुटे रहे। करीब पांच घंटे बाद सुबह 10.35 बजे कुछ क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बहाल हुई। बिजली की ट्रिपिग बार-बार होने से सरकारी व निजी बैंकों, डाकघर, सरकारी कार्यालय व पुलिस थाना में कामकाज प्रभावित होता रहा। सब स्टेशन गवाली व शानन पावर हाउस से बिजली का बैकअप लेकर शहरी व कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को विद्युत आपूर्ति की गई।

छह हजार विद्युत युनिट का नुकसान

बस्सी परियोजना के 33 केवी सब स्टेशन के अचानक फेल होने से करीब छह हजार विद्युत युनिट का नुकसान हुआ है। इस परियोजना से 132 सब स्टेशन हमीरपुर, चूल्हा मटनसिद्ध व रैहन में भी बिजली की आपूर्ति होती है। जोगेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र का 80 फीसद क्षेत्र भी बस्सी परियोजना पर निर्भर है। 66 मेगवाट बस्सी परियोजना के 132/33 केवी सब स्टेशन में स्थापित 16 एमबीए के एक ट्रांसफार्मर के ब्रेकर फेल होने से विद्युत आपूर्ति में दिक्कत आई है। पांच घंटे की मशक्कत के बाद तकनीकी खराबी को दूर किया गया। नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

-अरुण धीमान, रेजिडेट इंजीनियर, बस्सी परियोजना


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