मौसम बेईमान, अन्नदाता नहीं गंभीर
आधारित फसल बीमा योजना को लेकर जिला मंडी के किसान गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। जिला प्रशासन समेत कृषि विभाग की ओर से हालांकि किसानों को योजना का लाभ उठाने के लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। लेकिन बावजूद इसके जिला में किसानों की ओर से बेहद कम आवेदन कृषि विभाग के पास किए हैं। इस साल रबी के सीजन में 5424 किसानों के फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन पहुंचे हैं। मंडी जिला में करीब अस्सी हजार हैक्टेय
संवाद सहयोगी, मंडी : पहले बरसात ने पीछा नहीं छोड़ा अब सर्दी लंबी खिंच गई, लेकिन अन्नदाता अपनी फसल की रक्षा के लिए ही गंभीर नहीं है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लेकर जिला मंडी के किसान गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। जिला प्रशासन समेत कृषि विभाग की ओर से हालांकि किसानों को योजना का लाभ उठाने के लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। लेकिन बावजूद इसके जिला में किसानों की ओर से बेहद कम आवेदन कृषि विभाग के पास किए हैं। इस साल रबी के सीजन में 5424 किसानों के फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन पहुंचे हैं।
मंडी जिला में करीब 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों के द्वारा मक्की, धान, गेहूं समेत अन्य नकदी फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसमें से करीब 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्की, 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान के साथ करीब 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खेती की जाती है। करीब 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों के द्वारा मटर आलू टमाटर समेत अन्य नकदी फसलें उगाई जाती है। साल 2016-17 में जिला में 1109 किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिला है। 2018-19 में रबी के सीजन में 3144 किसानों तथा खरीब के सीजन में 2280 किसानों की ओर से फसल बीमा योजना के लिए कृषि विभाग के पास आवेदन किया है। मौसम आधारित फसल बीमा योजना में टमाटर, मटर, आलू मुख्यत फसलें हैं। बल्ह, सिराज, गोहर, करसोग व द्रंग ब्लॉक में टमाटर, सिराज, गोहर, करसोग बल्ह में मटर, तथा सिराज, द्रंग, सुंदरनगर व गोहर ब्लॉक में आलू की फसल को शामिल किया गया है। जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अन्य पांरपरिक फसलें शामिल की गई है। जिला के सभी ब्लॉक को इस योजना में हैं। फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को नुक्सान की सूचना 48 घंटे के अंदर कृषि विभाग को देनी होती है। सूचना मिलने पर कृषि व राजस्व विभाग के अधिकारी नुक्सान का आकलन करते हैं। इसके बाद बीते वर्ष के उत्पादन की तुलना कर ही बीमा राशि निर्धारित की जाती है।
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फसल बीमा योजना व मौसम आधारित फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को जागरूक किया गया है। आवेदन करने के लिए सभी प्रक्रिया से भी अवगत करवाया गया है।
-अरुण सूद, कृषि उपनिदेशक अतिरिक्त कार्यभार।