सेब सीजन शुरू, बागवान व विभाग भी तैयार
जिले में सेब सीजन शुरू हो गया है। इसके लिए बागवान व उद्यान विभाग ने भी तैयारियों पूरी कर ली हैं।
फरेंद्र ठाकुर, मंडी
जिले में सेब सीजन शुरू हो गया है। इसके लिए बागवान व उद्यान विभाग ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं। फल मंडियों में बिजली व पानी सहित अन्य व्यवस्था कर दी है। जिले की पांच स्थायी व सात अस्थायी फल मंडियों में सराज व नाचन का सेब पहुंचेगा। इनमें व्यापारियों व बागवानों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने के लिए दिन में दो बार फल मंडियों को सैनिटाइज किया जाएगा। इसके लिए मजदूरों को तैनात किया गया है।
दिल्ली, लुधियाना और हरियाणा से करीब 150 सेब व्यापारी पहुंच गए हैं। धीरे-धीरे यह मंडी सहित अन्य स्थानों पर पहुंच रहे हैं। इनके साथ कुछ मजदूर भी आ रहे हैं। सभी व्यापारियों को कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) द्वारा पास जारी किए गए हैं। जो व्यापारी रेड जोन से जिले में आए हैं उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन करने के बाद मंडियों में भेजा गया है। ग्रीन जोन से आने वाले व्यापारियों के लिए कोई पाबंदी नहीं है। सेब जिला की प्रमुख फसल है। 17 हजार हेक्टयेर भूमि पर सेब की पैदावार की जाती है।
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हर साल निकलती हैं 25 लाख सेब पेटियां
जिले में हर साल 25 लाख से अधिक सेब की पेटियां निकलती हैं। इन्हें स्थानीय मंडियों से दिल्ली, पंजाब, लुधियाना सहित अन्य राज्यों को भेजा जाता है। इनमें करीब 350 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। एक पेटी करीब 20 से 30 किलो की होती है। अच्छी किस्म के सेब की पेटी 2000 से 2500 रुपये तक बिकती है, जबकि लो किस्म की पेटी 1000 से 1500 रुपये तक बिकती है। बीच में कई बार सेब के दाम गिर जाते हैं। पिछले वर्ष सेब की 65 से 70 हजार टन पैदावार हुई है।
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यहां बनी अस्थायी मंडियां
जिले में सेब की फसल के लिए बालीचौकी, बगस्याड़, लंबाथाच छतरी, चुराग, निहरी व चैलचौक में अस्थायी तौर पर मंडियां बनाई गई हैं। इन मंडियों में बागवान आसानी से सेब फसल को पहुंचा सकते हैं। एपीएमसी द्वारा इनका निर्माण किया गया है। बागवान स्थायी मंडियों धनोटू (सुंदरनगर), डडौर, मंडी, टकोली व जोगेंद्रनगर में भी सीधे सेब पहुंचा सकते हैं।
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1600 से 1700 रुपये बिक रही पेटी
इस साल जिले में सेब का उत्पादन कम है। इससे फसल के दाम उम्दा मिल रहे हैं। शुरुआती दौर में करसोग का सेब मंडियों में 1600 से 1700 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिका है। इस बार मूसलधार बारिश व ओलावृष्टि से सेब की 30 फीसद फसल बर्बाद हुई है। इसमें सराज, नाचन व करसोग शामिल है। ओलावृष्टि से उद्यान विभाग को 10.7 करोड़ की चपत लगी है।
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इन वैरायटी का होता है सेब
मंडी जिले में टाइडमैन, रेड जून, गोल्डन, रॉयल, स्पर सहित अन्य वैरायटी का होता है। इन दिनों टाइडमैन व रेड जून सेब मंडियों में पहुंचने लगा है। गोल्ड सेब 15 से 20 दिन के भीतर मंडियों में दस्तक देगा। शेष फसल अभी अगले माह तक मंडियों में पहुंचती है।
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बागवानों की सेब फसल के लिए साथ अस्थायी मंडियां बनाई गई हैं। अन्य राज्यों के 150 व्यापारी भी पहुंच गए हैं। मंडियों में बिजली व पानी की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध हैं।
-भूपेंद्र ठाकुर, सचिव कृषि उपज मंडी समिति मंडी।
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इस बार ओलावृष्टि से सेब की 30 फीसद फसल प्रभावित हुई है। कम फसल होने पर अच्छे दाम मिल रहे हैं। घाटी में सीजन शुरू हो गया हैं।
-डॉ. अशोक धीमान, उपनिदेशक उद्यान विभाग मंडी।