पेड़ों की काट-छांट में जुटे बागवान
फरेंद्र ठाकुर मंडी मंडी जिले में सेब सीजन की समाप्ति के बाद बागवानों ने बगीचों का रुख कर
फरेंद्र ठाकुर, मंडी
मंडी जिले में सेब सीजन की समाप्ति के बाद बागवानों ने बगीचों का रुख कर लिया है। बगीचों में तौलिए बनाने के कार्य में जुट गए हैं। पेड़ों की काट-छांट की जा रही है। बागवानों को नवंबर में पेड़ की काट-छांट के दौरान विभिन्न रोग पनपने का खतरा भी सता रहा था। तब सेब के पेड़ सुप्तावस्था में नहीं गए थे। इससे पेड़ों पर कीटों के हमलों की आशंका बनी रहती है, लेकिन अब दिसंबर इसके लिए उपयुक्त है।
हाल ही में हुई बर्फबारी से चिलिग आवर्स पूरे होने की उम्मीद भी बागवानों को जग गई है। इससे अलावा बागवानों ने प्लम की प्रूनिग का कार्य भी शुरू कर दिया है। बागवानी विशेषज्ञों की ओर से प्रूनिग के लिए बेहतर समय बताया गया है। इसके लिए विशेषज्ञों ने किसी अनुभवी व्यक्ति से ही प्रूनिग करवाने के लिए कहा है। वहीं बागवानों ने पौधों में पेस्टिग का कार्य भी कर रहे हैं। इससे बगीचों में कैंकर रोग के पनपने का खतरा नहीं रहता है। पौधे भी स्वस्थ रहते हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नवंबर व दिसंबर में हुई बर्फबारी सेब बागवानी के लिए लाभकारी मानी गई है। इससे सेब के पेड़ों को अच्छी खुराक मिलेगी। कड़ाके की ठंड सेब के पेड़ों के लिए अच्छे सीजन की बुनियाद होती है। इस बर्फ बगीचों में पनपने वाले खतरनाक कीटों से सेब के पेड़ों को निजात दिलाती है। बगीचों में इन दिनों 10 घंटे तक सूर्य की रोशनी मिलती है। बर्फबारी के बाद तापमान काफी नीचे चला गया है। इससे सेब के पेड़ों को लंबे समय तक नमी मिलेगी।
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इन क्षेत्रों में शुरू हुआ कार्य
जिले के थाची, सोमनाचनी, कांडा, सोमगाड़, भनवास, सुधराणी, थाटा, टिक्की, देवधार, पंजाई, काऊ, चैलचौक, चच्योट, स्यांज, सरोआ, बाड़ा, करसोग सहित अन्य क्षेत्रों में तौलिए बनाने व अन्य रखरखाव का कार्य शुरू हो गया है। बागवानों में हेम सिंह, सोहन लाल, सुनली, योग राज, आलम चंद, भीम सेन, खेम सिंह, शेर सिंह, नोक सिंह ने बताया कि बागवान तौलिए बनाने के कार्य में जुट गए हैं। पेड़ो की काट-छांट व पेस्टिंग का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होंने बर्फबारी से चिलिग आवर्स पूरे होने की उम्मीद है।
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बागवान सेब बगीचों में तौलिए बनाने के कार्य में जुट गए हैं। दिसंबर पेड़ों की काट-छांट व प्लम की प्रूनिग के लिए उपयुक्त है। बागवान सर्दियों के दौरान पतझड़ के चलते सेब के पौधो से गिरे पत्तों को जलाएं।
-डा. अशोक धीमान, बागवानी उपनिदेशक मंडी।