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सेब बगीचों पर एफिड रोग का हमला

सेब बागीचों में इन दिनों एफिड रोग ने हमला कर दिया है। यह रोग सेब की नई पत्तियों के साथ फल को अधिक प्रभावित करता है। यह सेब की अच्छी फसल को तैयार होने से रोकता है। मंडी जिला में इन दिनों सेब प्लम नाशपाती व आडु सहित अन्य पौधों पर फ्लावरिग का दौर चला हुआ है। ऐसे में एफिड रोग ने सेब पौधों पर हमला बोल दिया। बागवानों के लिए यह नई मुसीबत खड़ी हो गई है। घाटी में सीजन को भी कम समय बचा है। यदि कीट पर कीटनाशक दवा का छिड़काब करें तो उसका भी सेब पर

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 07:57 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:11 AM (IST)
सेब बगीचों पर एफिड रोग का हमला
सेब बगीचों पर एफिड रोग का हमला

फरेंद्र ठाकुर, मंडी

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सेब बगीचों में एफिड रोग ने हमला कर दिया है। यह रोग सेब की नई पत्तियों के साथ फल को भी प्रभावित करने लगा है। इससे बागवानों को सेब की अच्छी फसल तैयार न होने की चिंता सताने लगी है।

मंडी जिले में इन दिनों सेब, प्लम, नाशपाती व आड़ू सहित अन्य पौधों पर फ्लावरिग का दौर चला हुआ है। ऐसे में एफिड रोग के हमले ने बागवानों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। घाटी में सीजन को भी कम समय बचा है। यदि कीट पर कीटनाशक दवा का छिड़काब करें तो उसका भी सेब पर विपरीत असर पड़ता है। इससे माइट कीट पनपने लगता है। बागवान हेम सिंह, यादव राम, केहर सिंह, योग राज, राम सिंह का कहना है कि सेब की पत्तियों पर एफिड रोग अधिक प्रभाव डाल रहा है। इससे फसल को नुकसान हो सकता है।

रोग से राहत दिलाने के लिए बागवानी विभाग के विशेषज्ञों ने बागवानों को दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है। बागवान सेब की पत्तियों में मैलाथियोन या एंलाटों दवा का छिड़काव कर सकते हैं ताकि पौधे को रोग से बचाया जा सकें। अगर पौधा माइट रोग की चपेट में आया है तो इसके लिए मैड्रिन व मैजिस्ट्रिक दवा का प्रयोग करें। बागवान इन दोनों दवाओं को एक से दो एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर दवा का छिड़काव कर सकते हैं।

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ओलावृष्टि से 30 फीसद प्रभावित हुई है सेब फसल

कोरोना संकट के बीच मार्च व अप्रैल में ओलावृष्टि होने से सेब की 30 फीसद फसल प्रभावित हुई है। इस दौरान बागवानी विभाग को 8.7 करोड़ का नुकसान हुआ था। सेब जिला की प्रमुख फसल है। इस बार जिले के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने से सेब के चिलिग आ‌र्व्स भी समय पर पूरा हुए है।

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पिछले वर्ष 65 से 70 हजार मीट्रिक टन थी पैदावार

मंडी जिले में पिछले वर्ष सेब की 65 से 70 हजार मीट्रिक टन पैदावार हुई थी, जबकि 2018 में यह आंकडा 50 से 55 हजार मीट्रिक टन के बीच में था। इस बार अच्छी बर्फबारी होने से सेब की बंपर फसल की उम्मीद जगी थी, लेकिन ओलावृष्टि से फलदार पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है।

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सेब की पत्तियों को एफिड रोग से बचाने के लिए बागवान मैलाथियोन या एंलाटों दवा का छिड़काव करें। अगर पौधा माइट रोग की चपेट में आया है तो इसके लिए मैड्रिन व मैजिस्ट्रिक दवा का प्रयोग करें। इन दिनों पौधों में प्लावरिग का दौर चला हुआ है।

-डॉ. जय गोपाल ठाकुर, कार्यकारी उपनिदेशक बागवानी मंडी।


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