बस्सी परियोजना के 50 साल पूरे, प्रतिवर्ष हो रही 100 करोड़ कमाई
संवाद सहयोगी जोगेंद्रनगर जोगेंद्रनगर से छह किलोमीटर की दूर स्थित बस्सी में स्थापित 66 मेगाव
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : जोगेंद्रनगर से छह किलोमीटर की दूर स्थित बस्सी में स्थापित 66 मेगावाट की पन विद्युत परियोजना 50 वर्ष पूरे चुकी है। अब यहां से प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये की कमाई होती है। वर्तमान में इस परियोजना में साढ़े 16 मेगावाट की क्षमता वाले चार टरबाइन कार्य कर रहे हैं। इनसे प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
बस्सी पन विद्युत परियोजना की आधारशिला 17 मई 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी। परियोजना की 15 मेगावाट की पहली टरबाइन ने 13 अप्रैल 1970 को विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया था। दूसरी टरबाइन 24 दिसंबर 1970 तथा तीसरी टरबाइन ने 15 जुलाई 1971 को बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पहले इस परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 45 मेगावाट थी जिसे 10 जुलाई 1981 को बढ़ाकर 60 मेगावाट कर दिया गया। इसके बाद इसमें व्यापक सुधार लाते हुए 2010 व 2012 के बीच इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर प्रति टरबाइन 16.5 मेगावाट की दर से 66 मेगावाट कर दिया गया है।
वर्तमान में परियोजना से 66 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस परियोजना के निर्माण पर आरंभिक तौर पर लगभग साढ़े 17 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। प्रतिवर्ष 302 मिलीयन यूनिट बिजली उत्पादन लक्ष्य रहता है। पिछले वित्तीय वर्ष में यह उत्पादन 331 मिलीयन यूनिट प्रतिवर्ष दर्ज हुआ है। वर्तमान में इस परियोजना के संचालन के लिए यहां पर करीब 150 विभिन्न श्रेणीयों के कर्मी तैनात हैं। परियोजना में विभिन्न श्रेणीयों के लगभग 90 पद रिक्त हैं।
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ऊहल पनबिजली परियोजना के अंतर्गत चरण-दो के तहत स्थापित बस्सी पावर हाउस ने उत्पादन शुरू करने के 50 साल के सफर को पूर्ण कर लिया है जो पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्णिम हिमाचल के लिए गौरवशाली पल हैं। परियोजना से वर्तमान में प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
-सूरज सिंह ठाकुर, अभियंता, बस्सी पन विद्युत परियोजना।