डेस्क व कबाड़ से कॉलेज के विद्यार्थी परेशान
ज में नए सत्र में कक्षाओं शुरू होते ही बदहाल व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए परेशानियों का सबब बन चुकी है। महाविद्यालय के मुख्य भवन पर बिखरे पड़े कबाड़ और इस्तेमाल में न लाए जाने वाले डेस्क विद्यार्थियों का मुंह चिढ़ा रहे हैं। मुख्य भवन में भी इधर-उधर बिखरा सामान महाविद्यालय की सुंदरता को बट्टा लगा
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : जोगेंद्रनगर कॉलेज में नए सत्र में कक्षाओं शुरू होते ही बदहाल व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए परेशानियों का सबब बन चुकी है। महाविद्यालय के मुख्य भवन पर बिखरे पड़े कबाड़ और इस्तेमाल में न लाए जाने वाले डेस्क विद्यार्थियों का मुंह चिढ़ा रहे हैं। मुख्य भवन में भी इधर-उधर बिखरा सामान महाविद्यालय की सुंदरता को बट्टा लगा रहा है। अव्यवस्था का यह आलम महाविद्यालय प्रबंधन के पुख्ता प्रबंधों की पोल खोल रहा है। इससे पहले महाविद्यालय में टपकती छतों ने भी विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं की पोल खोली थी और अब फिर महाविद्यालय के शैक्षणिक भवन में बिखरे सामान ने विद्यार्थियों की सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। 1997 में अस्थायी तौर पर शुरू हुए महाविद्यालय को जब 2000 में राजकीय महाविद्यालय का दर्जा मिला तो उस दौरान भवन में कक्षाएं शुरू हुई। समय के साथ महाविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन शैक्षणिक भवन का विस्तार न होने के कारण इन दिनों महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों के लिए कक्षा चलाने के लिए कमरे कम पड़ रहे हैं।
गत वर्ष भी महाविद्यालय में क्षमता से अधिक कक्षाएं कमरों में चलानी पड़ी थी। कुछ कमरों को तो प्रयोगशालाओं के लिए इस्तेमाल में लाना पड़ा। इस कारण विद्यार्थियों की समस्याओं और अधिक बढ़ गई। इस वर्ष भी महाविद्यालय में अभी तक करीब 22 सौ विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है और दाखिले बढ़ने की भी उम्मीद है ऐसे में विद्यार्थियों को इस वर्ष भी मूलभूत सुविधाओं का दंश झेलना पड़ सकता है। कॉलेज में प्राध्यापकों का भी टोटा बना हुआ है। प्राध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं। मजबूरन पीटीए पर प्राध्यापकों की पूर्ति कर विद्यार्थियों को शिक्षा देने को महाविद्यालय प्रबंधन मजबूर है। लचर प्रबंधन पर छात्र संगठनों ने उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
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इस्तेमाल में न लाए जाने वाले डेस्क ही भवन के इर्द गिर्द रखे गए हैं। अगर इससे विद्यार्थियों को कोई समस्या पेश आ रही है तो अविलंब कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। महाविद्यालय में कमरों की कमी के बारे में विश्वविद्यालय महाप्रबंधन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। रिक्त चल रहे पदों की भी पूर्ति जल्द की जाएगी।
-डॉ. हरीश अवस्थी, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय जोगेंद्रनगर।