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16.2 फीसद बच्चे कम वजनी, 13.1 फीसद नाटे

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By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 05:29 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 05:29 PM (IST)
16.2 फीसद बच्चे कम वजनी, 13.1 फीसद नाटे
16.2 फीसद बच्चे कम वजनी, 13.1 फीसद नाटे

काकू चौहान, मंडी

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पौष्टिक खाना न मिलने व अनीमिया के कारण बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या है, जिसके कारण बच्चे कमजोर और नाटे कद के हो रहे हैं। जिला मंडी में भी बच्चे इस समस्या से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के मुताबिक जिला में 13.1 प्रतिशत बच्चे नाटे कद के रह गए हैं।

उम्र के हिसाब से इन बच्चों का कद नहीं बढ़ रहा। इसके अलावा जिला में 16.2 प्रतिशत बच्चे कमजोर व कम वजन के हैं। .06 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हुए हैं। ये बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों के हैं। विभाग ने इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को प्रेषित कर दी है। वर्तमान में जिला के करीब 3303 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों में 67 हजार से अधिक बच्चे आते हैं। इनमें से करीब 38 बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए हैं। इसके अलावा पोषण न मिलने से 13.1 फीसद बच्चे नाटेपन के शिकार पाए गए हैं। ऐसे बच्चों की स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच की जा रही है। समय-समय पर बच्चों को अस्पताल के लिए भी रेफर किया जा रहा है। आंगनबाड़ी वर्करो को चिकित्सकों की सलाह पर ऐसे बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने की हिदायत दी है।

जिला परियोजना अधिकारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सुरेंद्र तेगटा ने बताया कि उचित पोषण न मिलने के बाद बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है, जबकि कुछ बच्चे जन्मजात नाटे होते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उचित पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है और चिकित्सीय जांच भी की जा रही है।

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नाटेपन के शिकार बच्चों का प्रतिशत

देश,प्रदेश,मंडी

21,13.5,13.1

कम भार वाले बच्चों का प्रतिशत

देश,प्रदेश,मंडी

35,21,16.2

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ऐसे होती है कुपोषित बच्चों की पहचान

आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमित रूप से बच्चों का कद व वजन मापा जाता है। डब्ल्यूएचओ (व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के ग्रोथ चार्ट के मुताबिक रेड जोन में आने वाले बच्चे कुपोषित होते हैं, जबकि ग्रीन जोन में आने वाले बच्चों को स्वस्थ माना जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों का शरीरिक व मानसिक विकास किन्हीं कारणों से रुक जाता है या प्रभावित होता है ऐसे बच्चों को येलो जोन में रखा जाता है।

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कुपोषण के कारण

कुपोषण वह अवस्था है, जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन अव्यवस्थित रूप से लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। इसके अलावा कुपोषण तब भी होता है जब किसी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा नहीं होती है। भोजन के माध्यम हम स्वस्थ रहने के लिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिजों सहित पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो हम कुपोषण के शिकार हो सकते हैं।

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प्रभाव व बचाव

शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक नहीं मिलने से बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। महिलाओं में खून की कमी या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहां तक कि अंधापन भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है और नियमित रूप से चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।


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