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नागचला में पूजा सामग्री बन गई मछलियों का काल

संवाद सहयोगी, मंडी : बल्ह घाटी के नागचला शिव मंदिर के प्रांगण में ऐतिहासिक जलकुंड में म

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 05:42 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 05:42 PM (IST)
नागचला में पूजा सामग्री बन गई मछलियों का काल
नागचला में पूजा सामग्री बन गई मछलियों का काल

संवाद सहयोगी, मंडी : बल्ह घाटी के नागचला शिव मंदिर के प्रांगण में ऐतिहासिक जलकुंड में मछलियां काल का ग्रास बनी हैं। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद करीब एक क्विंटल दूध व पूजा सामग्री को जल कुंड में डालने से करीब डेढ़ क्विंटल मछलियां असमय मौत के मुंह में चली गई।

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समय पर गृह रक्षा विभाग के आदेशक की अगुआई में पहुंची टीम ने जलकुंड के पानी को रिसाइकिल कर दम तोड़ रही हजारों मछलियों को आक्सीजन उपलब्ध करवाकर उन्हें मरने से बचा लिया।

चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर नागचला में सदियों पुराना जलकुंड लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी के नाम से मशहूर रिवालसर कस्बे की प्राकृतिक झील से पानी भूमिगत रास्ते से नागचला जलकुंड में पहुंचता है।

रिवालसर झील में पाई जाने वाली मछलियों की प्रजाति इस जलकुंड में भी पाई जाती है। रिवालसर झील में कुछ साल से मछलियां प्रदूषण की वजह से मर रही हैं। लेकिन नागचला जलकुंड में अभी तक ऐसी घटना नहीं हुई है। लेकिन मानवीय भूल व लापरवाही नागचला जलकुंड में विचरण करने वाली मछलियों पर पहली बार भारी पड़ी है।

सूत्रों से पता चला है कि बीते दिनों मंदिर में पूजा अर्चना की गई और इसके बाद बाद करीब एक क्विटंल दूध व अन्य पूजा सामग्री को मछलियों को आहार के रूप में जलकुंड में डाल दिया गया। जलकुंड से पानी की निकासी भी कुछ दिन से बंद हो गई थी। नतीजतन, जलकुंड की तलहटी में जमा खाद्य सामग्री व दूध समेत पूजा सामग्री से पानी प्रदूषित हो गया। पानी की निकासी न होने से जल कुंड में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ गई। इससे मछलियों को प्रचूर मात्रा में आक्सीजन नहीं मिल पाई और मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया।

स्थानीय लोगों ने जब जलकुंड में मछलियों को मरते हुए देखा तो इसकी सूचना मंदिर कमेटी को दी। जिला प्रशासन के आदेश पर सबसे पहले गृह रक्षा विभाग की टीम नागचला पहुंची। दस हजार लीटर पानी को कुंड में डालने के साथ ही पानी को रिसाइकिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई। जलकुंड से पानी की निकासी के लिए बनाई गई बनाई गई बाधित नाली को जेसीबी की मदद से खोदाई कर बहाल करवाया गया।

इसके बाद मत्स्य विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। विभाग के अलसू स्थित मत्स्य विभाग के बीज प्रजनन केंद्र से मत्स्य अधिकारी ऋचा गुप्ता ने स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है।

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नागचला जलकुंड सरोवर में मछलियों के मरने की सूचना मिलते ही टीम घटनास्थल पर पहुंच गई। पानी को रिसाइकिल कर दम तोड़ रही मछलियों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई गई। इससे मछलियों के मरने का सिलसिला थम गया है।

-मेजर खेम ¨सह ठाकुर, आदेशक, गृह रक्षा विभाग, मंडी।

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नागचला में प्रदूषण की वजह से करीब डेढ़ क्विंटल मछलियां मर चुकी हैं। प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से मछलियों की असमय मौत हुई है। विभाग ने इसकी रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है।

-ऋचा गुप्ता, मत्स्य अधिकारी, अलसू मत्स्य प्रजनन केंद्र।


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